मुजफ्फरनगर दंगे के स्टिंग में ‘आज तक’ दोषी, जांच समिति की रिपोर्ट पेश
लखनऊ. मुजफ्फरनगर में साल 2013 में हुए दंगे को लेकर समाचार चैनल आज तक पर चलाए गए स्टिंग ऑपरेशन की जांच के लिए बनाई गई समिति की जांच रिपोर्ट आज विधानसभा में पेश कर दी गई है.
दंगे के दौरान आज तक द्वारा पुलिस अधिकारियों के किए गए स्टिंग आपरेशन में आजम खान का नाम लेने के कारण विधान सभा की सात सदस्यीय कमेटी ने आज तक को दोषी पाया है.
उल्लेखनीय है कि आज तक ने अपने स्टिंग में कुछ पुलिसकर्मियों को यह कहते हुए दिखाया था कि आजम खान ने उन्हें दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका था.
जांच समिति ने आज़म खान को क्लीनचिट देते हुए संबंधित चैनल के तत्कालीन पदाधिकारियों को उनकी अवमानना का दोषी करार दिया है और सदन से उनके विरुद्ध समुचित दण्ड निर्धारण की संस्तुति की है.
जांच रिपोर्ट में चैनल के मैनेजिंग एडिटर सुप्रिय प्रसाद, आउटपुट हेड मनीष कुमार, एसआईटी एडिटर दीपक शर्मा, रिपोर्टर अरुण सिंह, रिपोर्टर हरीश शर्मा, मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवल हेडलाइन्स टुडे, पुण्य प्रसुन वाजपेयी, गौरव सावंत एंकर, पद्मजा जोशी एंकर, सदन के वरिष्ठ सदस्य आजम खान की अवमानना के दोषी पाए गए हैं.
सात सदस्यीय कमेटी के सभापति सतीश कुमार निगम ने जांच रिपोर्ट सदन में पढ़ कर सुनाई.
1- कहा कि सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए, (सौहार्द बिगाड़ने), 295ए (किसी धर्म का अपमान करने), जानबूझकर झूठ बोलने की धारा- 200, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की कूट रचना के लिए धारा- 463 व 464, 465, 469 और 471 के तहत एफआईआर दर्ज हो.
2- साथ ही आईटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई हो. इसके लिए गृह विभाग को आदेश दिए जाएं.
3- सभी के खिलाफ सदन की अवमानना का मामला चले. इस पर फैसला सदन करे. संभव है सभी को सदन के समक्ष बुलाया जाए
4- आज तक के खिलाफ केबल टेलीविजन नेटवर्क रेग्यूलेशन एक्ट-1995 की धारा- 5 और धारा- 20 के तहत कार्रवाई की जाए.
जांच समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने के बाद अब इस पर बहस होगी और सदन में इस पर कार्रवाई को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा.
मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय ने 24 सितंबर 2013 को जांच कमेटी बनाई थी. 10 दिसंबर 2013 को कमिटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश की थी.
मुज़फ्फरनगर के कवाल गांव में साल 2013 में लड़की से छेड़खानी को लेकर हुए संघर्ष में दो ममेरे और फुफेरे भाइयों सचिन और गौरव सहित कुल तीन लोगों की हत्या के बाद पूरा मुजफ्फरनगर हिंसा से जल उठा था. दंगों में 50 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज़्यादा लोग घायल हो गए थे.
साभार : मेकिंगइंडिया