हार्दिक पटेल कभी शांतिपूर्ण आंदोलन की बात करते हैं। फिर कहते हैं कि हमें अपना हक छीनना भी आता है। कभी वो राजनीति से लेना-देना न होने की बात करते हैं। फिर वो नीतीश और चंद्रबाबू के साथ का हवाला भी देते हैं। कभी वो पटेलों के लिए आरक्षण मांगते है फिर कहते हैं आरक्षण पूरी तरह ख़त्म हो जाना चाहिए। जिस आदमी को खुद को ये नहीं पता कि वो चाहता क्या है उसके समर्थन में बीस लाख लोग सड़कों पर आ जाते हैं। करोड़ों की सम्पत्ति फूंक दी जाती है। दर्जनों जानें चली जाती हैं। सामाजिक का पता नहीं, अगर मानसिक पिछड़ेपन के आधार पर अगर आरक्षण मिलता, तो इनका दावा मज़बूत है।
नीरज बधावर