क्या आप सहमत है ? आलोक श्री

क्या देश और देश की राष्ट्रीयता जाति व् सम्प्रदायों से ऊपर नही रहनी चाहिए ?

सरकार चाहे किसी भी रही हो और नेता चाहे जो भी रहा हो सबने अपने फायदे के लिए कानून और संविधान से खिलवाड़ किया है और सब तुस्टीकरण की राजनीती कर रहे है !

जब देश के संविधान में वन्दे मातरम और राष्ट्रिय गीत गाना लिखा गया तो कोई चाहे किसी धर्म या संप्रदाय का हो यदि इसकी अवहेलना करता है तो उसपर राष्ट्र द्रोह क्यों नहीं लगाया जाता है !

जब देश का प्रधानमत्री किसी राष्ट्रिय कार्यक्रम का आयोजन करता है और कोई कर्मचारी अपने धर्म के कारण राष्ट्रिय कार्यक्रम में नहीं आता है तो ऐसे देशद्रोही चाहे किसी धर्म या संप्रदाय का हो जिसको राष्ट्रीयता से कोई सरोकार नहीं है उसको सेवा से बर्खास्त क्यों नहीं कर दिया जाता है !

जब पूरा विश्व योग का आयोजन कर रहा है यहाँ तक मुस्लिम राष्ट्र भी तो देश में राष्ट्र विरोधी उठाने वाले आवाजो चाहे किसी धर्म या संप्रदाय का हो पर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है !

जब कोई संविधानिक पद पर आसीन हो तो उसके लिए देश की राष्ट्रीय और संविधान सर्व परी होना चाहिए यदि संविधानिक पद पर रहते हुए वह अपने धर्म के कारण देश की राष्ट्रीय और संविधान का अपमान करता है तो उसपर देशद्रोह चलना चाहिए चाहे वह किसी जाती या संप्रदाय का हो !

देश में अलगाव वादी मौज से रह रहे है और पाकिस्तानी झंडा फहरा रहे है फिर भी हमारी सेना लचर है ऐसे देशद्रोहियो को शूट क्यों नहीं कर दिया जाता या इन्हें देश से निकाल क्यों नहीं दिया जाता है !

मंदिर और राजाओ की संपत्ति पर भारत सरकार का हक है वही सुल्तानों और मस्जिदों की जमीं मुस्लिम बोर्ड के पास यह दोगला व्यवहार क्यों देश में दो कानून कैसे बना दिया गया ?देश की सारी संपत्ति चाहे वह मंदिर हो मस्जिद हो या गुरुद्वारा भारत सरकार की होनी चाहिए और देश में एक कानून हो ?

दोस्तों यह दोगले तुस्टीकरण की सोच वाले यह राजनेता देश को बर्बाद कर देंगे और अपने फायदे के लिए कल यह हमारे क़त्ल का भी आदेश पास कर देंगे क्योंकि हम उनके धर्म के अनुसार नहीं है !

आलोक श्री