यूपी में मंत्री-विधायकों को भी फसल नुकसान का मुआवजा
बेमौसम बारिश तथा ओलावृष्टि के कारण फसल नुकसान के मुआवजे की कतार में प्रदेश मंत्री व विधायक के साथ दूसरे संपन्न लोग भी लगे हैं। इन्हें बर्बाद हो चुके गरीब किसानों की तरह ही उसी पैमाने पर मुआवजा मिलेगा। इनकी ज्यादा खेती होने के कारण इन्हें लाभ भी आम किसानों से ज्यादा होगा। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि मुआवजे की रकम के भुगतान के लिए बनाए गए मापदंड में संपन्नता बाधक नहीं है।
सिर्फ बाराबंकी जिले में चार लाख 41 हजार किसानों को मुआवजा दिया जाना है। इनमें 50 हजार किसान ऐसे हैं जो खेती के अलावा दूसरे व्यवसायों से जुड़े हुए हैं। इनमें मंत्री के साथ विधायक और आइएएस, आइपीएस व पीसीएस अधिकारी भी हैं। ऐसे राजस्व कर्मियों की संख्या भी इसमें कम नहीं है, जो आयकर का भुगतान करते हैं। बाराबंकी इकलौता ऐसा जिला है जहां सर्वाधिक आइएएस और आएपीएस अधिकारियों के कृषि फार्म हैं। राजस्व विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इनकी भी 35 प्रतिशत से अधिक फसल आंधी, पानी और ओले से नष्ट हुई है। जिले के किसानों को मुआवजा देेने के लिए दो सौ एक करोड़ रुपये की दरकार है। साढ़े छह करोड़ रुपये और अवमुक्त होकर आ गए हैं। ढाई करोड़ रुपये का वितरण किया जा चुका है। अभी जिन लोगों के नाम चेक बने हैं उनमें एक विधायक का नाम आया है।
जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र का कहना है फसल नुकसान की भरपाई के लिए न तो आय सीमा बाधक है और न ही पद प्रतिष्ठा अथवा दूसरे रोजगारों से जुड़े होना की बाध्यता ही। कोई भी किसान, जिसके फसल का नुकसान हुआ है उन्हें मुआवजा दिया जाना है। अब उसमें मंत्री विधायक भी हो सकते हैं और अधिकारी भी। हालांकि ऐसे किसी व्यक्ति को मुआवजा अभी तक दिया नहीं गया है। कुछ लोगों ने मुआवजे की रकम की चेक लेने से मना भी किया है। अब उन संपन्न किसानों पर निर्भर करता है कि वे मुआवजे की रकम लेने चाहते हैं या फिर नहीं।
फसल नुकसान की भरपाई के लिए जिन लोगों के खेतों के नुकसान का आकलन किया गया है, उनमें कृषि राज्यमंत्री भी शामिल हैं। अगर उन्हें मुआवजा मिला तो शायद वे जिले के सबसे अधिक मुआवजा पाने वाले किसान होंगे। यह बात राजस्व विभाग के अधिकारी भी स्वीकार करते हैं।