अक्षय तृतीया पर इस बार सुबह से रात तक कई शुभ संयोग बन रहे हैं। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया 21 अप्रैल को मंगलवार के दिन कृतिका नक्षत्र, सौभाग्य योग, गर करण वृषभ राशि के उच्च चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। इस दिन सुबह 6.15 से दोपहर 11.57 बजे तक सर्वार्थसिद्धि तथा दोपहर 11.58 से सूर्यास्त तक रवि योग का विशिष्ट संयोग बन रहा है।
वहीं दोपहर में मंगलादित्य व बुधादित्य योग का महायोग भी है। मुहूर्त चिंतामणि, कौस्तुभ ग्रंथ तथा नक्षत्र मेखला की गणना से देखें तो मुहूर्त तथा योगों का ऐसा अद्वितीय संयोग दशकों बाद आता है। इस शुभ अवसर का लाभ विवाह, गृह प्रवेश, गृह आरंभ, उपनयन संस्कार, नवीन वस्तुओं के साथ सोने व पीतल आदि धातुओं की खरीदी कर लिया जा सकता है।
ज्योतिषियों के अनुसार यह दुर्लभ अवसर 191 साल बाद आया है। इस कारण यह दिन मांगलिक कार्य, दान-पुण्य तथा भूमि, भवन, वाहन व स्वर्ण की खरीदी के लिए अतिशुभ रहेगा।
अबूझ मुहूर्त देगा तीन गुना शुभ फल-
अक्षय तृतीया का पर्व काल अबूझ मुहूर्त की श्रेणी में आता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का अक्षय पुण्य फल मिलता है। इस दिन की गई खरीदी गई वस्तु स्थायी समृद्धि प्रदान करती हैं। वहीं मांगलिक कार्यों का तीन गुना शुभ फल प्राप्त होता है।
धर्मशास्त्र की मान्यता अनुसार आखातीज पर घर में जल से भरे कलश में सुगंधित द्रव्य, जौ डालकर उस पर ऋतुफल रखें तथा भगवान विष्णु तथा देवताओं का आह्वान कर पूजा-अर्चना के बाद इसे वैदिक ब्राह्मण को दान करें। पितरों की तृप्ति तथा प्रसन्नता के लिए ग्रहस्थ ब्राह्मण को जल से भरे कलश में काली तिल्ली डालकर तथा उस पर बीजयुक्त फल रखकर दान करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।