नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर उनके डिनर कार्यक्रम में शामिल होने से इंकार कर दिया है। डिनर में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे। डिनर का आयोजन प्रधानमंत्री निवास पर किया गया है।
न्यायामूर्ति जोसफ ने प्रधानमंत्री को एक अप्रैल को एक चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में ईसाई समाज के पर्व गुड फ्राइडे और इस्टर का हवाला देकर डिनर में शामिल होने में असमर्थता जताई है। उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि धार्मिक महत्व की छुट्टियों के दिन जरूरी कार्यक्रम नहीं होने चाहिए। दिवाली, होली, दशहरा, ईद, बकरीद, क्रिसमस, गुड फ्राइडे, इस्टर महान पर्व हैं। आप खुद जानते हैं कि दिवाली, दशहरा, होली, ईद, बकरीद जैसे त्योहारों के मौके पर कोई भी महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित नहीं किये जाते हैं बल्कि इस दिन छुट्टी होनी चाहिए।
पीएम को लिखी चिट्ठी से पहले न्यायूमूर्ति कुरियन जोसेफ ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति एचएल दत्तू को चिट्ठी लिखकर पहले ही नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने पिछले महीने मुख्य न्यायमूर्ति को चिट्ठी लिखी थी। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ ने अपनी चिट्ठी में सम्मेलन की तारीख को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने लिखा था कि इस तरह का त्योहार लोग अपने परिवार के साथ मनाते हैं। उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि इस तरह के आयोजन दिवाली, दशहरा, होली या ईद के दिन नहीं किए जाते हैं। जोसफ ने ये खत 18 मार्च को भेजा था।
मुख्य न्यायमूर्ति ने जोसफ के इस पत्र पर खासी नाराजगी जताते हुए 20 मार्च को दिए अपने जवाब में कहा कि दो साल बाद आयोजित हो रहे इस सम्मेलन पर सवाल उठाए जाने से मैं स्तब्ध हूं। मैं जस्टिस जोसेफ की चिंता का सम्मान करता हूं, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए सम्मेलन किसी भी दूसरी चीज से ज्यादा जरूरी है। धर्मनिरपेक्षता का भारतीय मॉडल सर्व धर्म समभाव के सिद्धांत पर आधारित है।