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सरकार ने बताए 627 काले कुबेरों के नाम

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार ने बुधवार को 627 लोगों के नाम सौंप दिए हैं। कोर्ट ने कल ही सरकार को सभी नाम सौंपने का आदेश दिया था।

सरकार ने कोर्ट को तीन सीलबंद लिफाफे सौंपे। इनमें से पहले लिफाफे में दूसरे देशों के साथ हुई संधि के कागजात हैं। दूसरे लिफाफे में विदेशी खाताधारकों के नाम हैं, जबकि तीसरे लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट है।

चुनाव प्रचार में काले धन को जोर-शोर से मुद्दा बनाने के बाद महज चंद नाम पेश करने वाली मोदी सरकार की भारी किरकिरी हुई। न सिर्फ विपक्षी दल बल्कि सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र सरकार के मौजूदा रुख से काफी नाराज हुआ।

मंगलवार को सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को कड़ी फटकार लगाते हुए सभी खाताधारकों की सूची तुरंत सौंपने को कहा था। इसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार को सूची सौंपने में कोई समस्या नहीं है और बुधवार को सभी नाम सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंप दिए जाएंगे। सरकार को जर्मनी समेत कई देशों से 500 खाताधारकों के नाम मिले हैं।

सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने भी भाजपा को आड़े हाथों लिया। मंगलवार को चीफ जस्टिस एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र की खिंचाई करते हुए कहा, ‘विदेशों में बैंक खाते रखने वाले लोगों को वह बचाने का प्रयास क्यों कर रही है? आप ऐसे व्यक्तियों को सुरक्षा आवरण क्यों प्रदान कर रहे हैं?’

चीफ जस्टिस ने सरकार के इस रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान सालिसिटर जनरल की उपस्थिति में खुली अदालत में आदेश पारित किया गया था और अब नई सरकार इसमें संशोधन का अनुरोध नहीं कर सकती। हम अपने आदेश में एक शब्द का भी बदलाव नहीं करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी की सभी दलीलों को भी खारिज कर दिया। रोहतगी का यह तर्क अस्वीकार कर दिया कि बैंक खातों की अवैधता के मामले की जांच के बाद सरकार इन नामों का खुलासा करेगी।

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को दो टूक कहा कि अगर सरकार के भरोसे जांच का काम छोड़ा गया, तो यह पूरे जीवन में भी पूरी नहीं हो सकेगी। सरकार को कुछ करने की जरूरत नहीं है, बस वह सारी जानकारी कोर्ट को मुहैया करा दे। आगे का काम एसआईटी या सीबीआई सहित दूसरी एजेंसियां देखेंगी।

सरकार ने तर्क दिया कि नामों की सूची 2-3 दिन में सौंप दी जाएगी। इस पर पीठ ने तपाक से कहा, ‘2-3 दिन क्यों? कल क्यों नहीं? हमारी सिस्टर जज (जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई) का बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम दिन है। वह रिटायर हो रही हैं। उन्हें इस जानकारी से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए।’

पीठ ने अटार्नी जनरल की इस दलील को दरकिनार कर दिया कि खाता धारकों के नामों के खुलासे से उन लोगों के निजता के अधिकार का हनन होगा, जिनके वैध खाते हैं।

NCR Khabar News Desk

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