अब आपके इशारे पर नाचेगा स्मार्टफोन!

वाशिंगटन। शोधकर्ताओं ने एक नया वायरलेस सेंसिंग टेक्नॉलोजी विकसित किया है जिससे यूजर्स अपने स्मार्टफोन को हाथों के इशारे पर काम करना सिखाएंगे। इन शोधकर्ताओं की टीम में एक भारतीय मूल का नागरिक भी शामिल है।
यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के शोधकर्ताओं ने बताया कि कुछ स्मार्टफोन तो कैमरे पर आधारित 3-डी जेस्चर (इशारा) सेंसिंग के साथ आने शुरू भी हो गए हैं लेकिन इसके लिए कैमरे को बैटरी पावर व यूजर के हाथों का स्पष्ट दृश्य चाहिए।
शोधकर्ताओं ने अब नया लो-पावर वायरलेस सेंसिंग टेक्नॉलाजी को विकसित किया है जिसमें फोन अपने आस-पास की गतिविधियों को पहचानेगा।
यह टेक्नॉलोजी, इलेक्ट्रीकल इंजीनियर व कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के यूडब्ल्यू एसोसिएट प्रोफेसर मैट रेनॉल्ड्स व श्वेतक पटेल के लैब में विकसित किया गया। इस टेक्नॉलोजी की खासियत यह है कि आंखों से ओझल होते हुए यानि जेब या फिर बैग में भी यह आसानी से फोन के वायरलेस ट्रांसमिशन का उपयोग करते हुए आस-पास की गतिविधियों को पहचान कर काम करेगा। यह तकनीक भविष्य में बनने वाले स्मार्टफोन व टैबलेट के लिए उपयोग की जाएगी।
रेनॉल्ड्स ने कहा, ‘आज स्मार्टफोन में विभिन्न प्रकार के सेंसर लगे होते हैं, कैमरा, एक्सेलेरोमीटर और गाइरोस्कोप्स जो फोन के मोशन को अपने आप ट्रैक करते हैं।’
जब कोई यूजर कॉल करता है या एप व इंटरनेट के बीच डाटा ट्रांसफर करता है तब सेल्यूलर आधारित स्टेशन के साथ बात करने के लिए फोन 2जी, 3जी या 4जी सेल्यूलर नेटवर्क को रेडियो सिग्नल्स प्रदान करता है।
जब यूजर का हाथ फोन के आस-पास जाता है तब यूजर के शरीर से कुछ सिग्नल्स फोन की तरफ आते हैं। नया सिस्टम इन सिग्नल को कैप्चर करने के लिए कई छोटे-छोटे एंटीना का उपयोग करेगा और इन गतिविधियों को पहचान रेस्पांड करेगा।
इस तरह से टैपिंग, स्लाइडिंग या होवरिंग जैसे पोजिशन से फोन को कमांड किया जा सकता है जैसे फोन को साइलेंट करना, गाने बदलना या स्पीकर फोन को म्यूट करना आदि। क्योंकि कपड़े या बैग के फैब्रिक के द्वारा फोन का वायरलेस ट्रांसमिशन आसानी से काम करेगा यह सिस्टम तब भी काम करेगा जब फोन दूरी पर रखा हो।
दस लोगों के ग्रुप ने इस तकनीक को आजमाया। इसमें उन्होंने स्मार्टफोन के आस-पास दस विभिन्न तरीके से हाथ की गतिविधियों का इस्तेमाल किया। हर बार फोन यूजर के हाथ के मूवमेंट को सीखता और कुछ समय बाद प्रतिक्रिया भी करता हुआ पाया गया। ग्रुप के अनुसार स्मार्टफोन इस तकनीक पर 87 प्रतिशत कामयाब पाया गया।
‘साइडस्वाइप’ नाम से इस प्रोजेक्ट को शोधकर्ता अगले महीने पेश करेंगे।