भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में कई दिनों से हो रही भारी बारिश तो थम गई है लेकिन लोगों की जिदगी अब भी बेहाल है।
बाढ़ प्रभावित लाखों लोग मदद का इंतजार कर रहे हैं। कई इलाकों में सूचना और संपर्क तंत्र टूट जाने के कारण प्रभावितों के बारे में पूरी जानकारी भी नहीं मिल पा रही है। भारी बारिश और बाढ़ के कारण अब तक कम से कम 90 लोग मारे गए हैं।
विपक्ष की नेता महबूबा मुफ्ती ने राज्य की स्थिति को राष्ट्रीय संकट घोषित करने की मांग की है। शुक्रवार को कुछ मंत्रियों ने प्रभावित लोगों से बात करने की कोशिश की तो लोगों ने पथराव कर दिया जिस पर उनके सुरक्षा कर्मियों को हवा में गोलियां भी चलानी पड़ी।
एक प्रभावित व्यक्ति ने बताया, “इतना पानी कभी नहीं आया। तब हमने बच्चों को निकाला। रात हमने कार में गुजारी।” एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “बहुत दिक्कत हो गई। मैंने बहुत मुश्किल से रात गुजारी।”
उपमुख्यमंत्री ताराचंद ने लोगों के गुस्से के देखते हुए एक प्रेस कांफ्रेंस कर राहत कार्यों में तेजी लाने का वादा किया। कश्मीर घाटी और जम्मू के रजौरी, डोडा और पूंछ इलाकों में पिछले हफ़्ते से हो रही लगातार बारिश के कारण नदियों में बाढ़ आ गई है।
रजौरी में बाढ़ के पानी में लापता हुई बारात ले जा रही बस में सवार सभी पचास लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई है।
दिल्ली से पहुंची राष्ट्रीय आपदा राहत बल की एक कंपनी ने सेना और पुलिस के जवानों की मदद से राहत कार्य शुरू कर दिया है। सेना ने मिशन सहायता शुरू करके बाढ़ में फंसे क़रीब डेढ़ हज़ार लोगों को बचाने का दावा किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले 57 वर्षों में ऐसी बाढ़ पहली बार आई है।