शिरडी के साईं बाबा को लेकर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के विवादित बयान देने के बाद अब मुस्लिम
धर्मगुरू भी इस विवाद में कूद गए हैं।
साईं संध्याओं में अल्लाह का नाम लिए जाने और उसमें मुसलमानों के शामिल होने पर दारुल उलूम वक्फ ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
उलेमा ने साफ किया है कि अल्लाह लफ्ज इस्लाम का है और इसे साईं संध्याओं में बोलना गलत है। इसके अलावा जो जिस धर्म का हो, उसे उस हिसाब से पूजा-पाठ करनी चाहिए।
दारुल उलूम वक्फ के वरिष्ठ उस्ताद आरिफ कासमी का कहना है कि साईं संध्याओं में मुसलमान नहीं जाते हैं, अगर कोई जाता है तो वह गलत है।
उन्होंने कहा कि इस्लाम केवल आसमानी ताकत मानता है। मुसलमान केवल मस्जिद में जाते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। ऐसे में साईं संध्या में अल्लाह-अल्लाह गाना बिल्कुल ही गलत है।
कासमी ने कहा कि वहां जाने वाले जिस धर्म के हो, वे अपनी बात करें। इसमें इस्लाम को शामिल करना गलत है। मुसलमानों के लिए इस्लाम में केवल नमाज ही बताया गया है।
दारुल उलूम वक्फ के उस्ताद मौलाना नसीम अख्तर शाह कैसर का कहना है कि साईं संध्याओं में अल्लाह का नाम लेना बिल्कुल गलत है।
उन्होंने कहा कि ऐसा होना नहीं चाहिए क्योंकि यह लफ्ज इस्लाम से जुड़ा है। जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें अपने धर्म के मुताबिक पूजा-पाठ करनी चाहिए। अगर कोई यह दावा करता है कि साईं संध्याओं में मुसलमान जाते हैं तो वह भी गलत है।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद की ओर से साईं बाबा को लेकर दिए गए बयान के विरोध में साईं कुटुंब समिति की ओर से 29 जून को हरकी पैड़ी पर सामूहिक साईं स्नान किया जाएगा।
साईं कुटुंब समिति की ओर से कहा गया है कि साईं बाबा के भक्त शांतिपूर्ण तरीके से जीवनयापन करने वाले हैं। शंकराचार्य के बयान की निंदा की जाती है। लेकिन हमारा विरोध किसी को कष्ट पहुंचाने के लिए नहीं है। हम बयान का जवाब 29 जून को 10 बजे हरकी पैड़ी पर सामूहिक साईं स्नान कर देंगे।
साईं कुटुंब समिति के अध्यक्ष पूनम कपिल ने बताया कि साईं बाबा ने कभी स्वयं को भगवान नहीं कहा है। साईं के भक्त भी बड़े शांतिप्रिय होते हैं। किसी मंदिर में कहीं कोई विवाद नहीं हुआ। कहीं भगदड़ नहीं मचती। ऐसा बयान केवल चर्चाओं में आने के लिए दिया गया है।
‘साईं बाबा को अनेक लोग मानते हैं। किसी को भी ऐसा बयान नहीं देना चाहिए, जिससे माहौल खराब होता हो। पूरे मामले पर जूना अखाड़ा के संत शीघ्र ही बैठक कर चर्चा करेंगे।
– स्वामी विनोद गिरी, जूना अखाड़ा