जब अजीत सिंह के क्षेत्र में दंगे हो रहे थे तो उसने एक बार भी ये कोशिश नहीं की कि किसी तरह से अपने क्षेत्र के प्रभावशाली हिन्दू -मुस्लिमो को एक जगह लाकर इन दंगों को शांत कर सके ! अवसरवादी राजनीति का उससे घिनौना चेहरा भारतीय राजनीति ने शायद ही देखा हो ! पहले चौधरी ( चरण सिंह ) , फिर छोटा चौधरी ( अजीत सिंह ) अब उससे भी छोटा चौधरी ( जयंत ) ! परिवारवाद , अवसरवाद और जातिवाद की राजनीति करके अजीत सिंह ने इस क्षेत्र को क्या दिया ? सडकें नहीं, गन्ना बिकता नहीं , बिजली नहीं , विकास नहीं ! लगातार केंद्र में मंत्री बने रहने वाले एक नेता के क्षेत्र का हाल गाजियाबाद या नॉएडा से भी बुरा है !
क्यों ऐसे लोग जीतते हैं ? जाति के बल पर ही तो ? वरना इन्होने ऐसा आज तक क्या किया है , जिससे ये लगातार जीतते आ रहे थे ?
मुकेश त्यागी