दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया कि जनता ने भाजपा और आप को बराबर समर्थन दिया। जाहिर है, जनादेश किसी एक दल को नहीं मिला, ऐसे में दोबारा चुनाव होने की संभावना बढ़ गई है।
आम आदमी पार्टी दोबारा चुनाव को लेकर काफी उत्साहित है, क्योंकि उसे एक बार फिर जीत की उम्मीद है। वहीं भाजपा का मानना है कि दिल्ली चुनाव, लोकसभा चुनाव के साथ हुए तो उसे फायदा होगा।
लेकिन भाजपा को इस बात का इल्म भी है कि 70 सीटों वाली विधानसभा में 32 सीटों तक पहुंचने के बावजूद उसे चुनाव हारने वाले अपने कई उम्मीदवार बदलने होंगे।
चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से जुड़ा विश्लेषण करने के बाद शीर्ष नेतृत्व इस फैसले पर पहुंचा है कि जीतने वाले ज्यादातर उम्मीदवारों को दोबारा मैदान में उतारा जा सकता है। लेकिन हारने वाली सीटों पर उसे नए चेहरों की जरूरत होगी। इन सीटों में से ज्यादातर पर भाजपा, आम आदमी पार्टी के हाथों हारी थी।
वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा, “विश्वसनीयता सबसे ज्यादा अहमियत रखेगी।” पार्टी ने यह महसूस भी किया कि उसने आम आदमी पार्टी को ज्यादा संजीदगी से नहीं लिया और अगर कुछ महीने बाद दिल्ली में दोबारा चुनाव होते हैं, तो यह गलती दोहराई नहीं जानी चाहिए।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनाव से ठीक पहले कुछ भाजपा नेताओं ने आप के दावेदारों के खतरे को पहचाना था। लेकिन ज्यादातर नेताओं ने अरविंद केजरीवाल की पार्टी को खतरा मानने से मना कर दिया।