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श्री गौरी शंकर वैदिक धर्मार्थ ट्रस्ट के तत्वाधान में चल रही कलारिया मंदिर सेक्टर 12 नोएडा में सात दिनी संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन

श्री गौरी शंकर वैदिक धर्मार्थ ट्रस्ट के तत्वाधान में चल रही कलारिया मंदिर सेक्टर 12 नोएडा मैं सात दिनी संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का समापन रविवार को हुआ। और सोमवार अंतिम दिन कथा के समापन पर हवन यज्ञ व भंडारे का आयोजन किया गया जिसके मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार मैं राज्यमंत्री सुनील भारद्वाज बराला के छोटे भाई बीजेपी किसान मोर्चा के क्षेत्रीय कोषाध्यक्ष अजय भारद्वाज बराला रहे l वो लखनऊ से चल कर महाराज श्री से आशीर्वाद लेने आए और नोएडा के लोगो का हिंदू धर्म, उनके रीति रिवाज और वैदिक कर्मो प्रति जुड़ाव को सराहा ताकि मानवता और सनातन धर्म अपने भारत मैं और मजबूत हो जिसमे बराला जी ने पूज्यनीय महाराज श्री के सनातन धर्म के प्रति योगदान और प्रेरणा को भी सराहा और साधुवाद दिया और भंडारा प्रसादी ले कर बराला जी लखनऊ के लिए निकल गए

इससे पहले कथा के छठे दिन उत्तर प्रदेश सरकार मै पूर्व मंत्री जी श्री नवाब सिंह नागर (भाजपा) उन्होंने महाराज जी का पूजन कर भागवत जी और व्यास पीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया और नोएडा वासियों को भगवान् की कथा मै आने पर हिंदू तथा सनातन को मजबूती से स्थापित करने मै एक पहल भी बताया

ट्रस्ट के राष्ट्रीय महासचिव श्री भानू प्रताप लवानिया ने बताया कि महाराज श्री ने सभी से भक्ति मार्ग से जुड़ने व सत्कर्म करने को कहा तथा महाराज श्री ने कहा हवन यज्ञ से वातावरण व वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है।

दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया भागवत कथा के श्रवण से मात्र से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद् भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान व वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। जिसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है।

भंडारे के प्रसाद का वर्णन करते हुए कहा प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है।

जिसमे पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन, बुद्धि व चित्त को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से स्वयं भगवान का अपमान होता है। भगवान को लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन पर विधि विधान से पूजा अर्चना की गई।

इस 3 सितंबर से 10 सितंबर 2023 तक आयोजित कथा के परिक्षित रहे या कहे मुख्य यजमान श्री ब्रह्म दत्त शर्मा जी, उनकी धर्मपत्नी मुनेश शर्मा और इन दोनो की पुत्री रेनू भारद्वाज और रेनू की पुत्री श्रीया ने विधि विधान से पूजा कर प्रसाद भंडारा बांटा और सभी कन्याओं को भेंट दी और महाराज श्री से आशीर्वाद ले कर उनको विदा किया

एन सी आर खबर ब्यूरो

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