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राग बैरागी : अथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा


राजेश बैरागी ।आज मैंने उपवास नहीं किया। मैं कल्पनाओं के माध्यम से श्रीकृष्ण के जन्म की स्मृतियों के निकट रहा। मैंने देखा कि कारागार में बंद माता देवकी को प्रसव पीड़ा हो रही है परंतु उन्होंने और वासुदेव ने इस बार कंस को प्रसव को लेकर कानों-कान खबर न होने देने का प्रण किया हुआ है। यही वह आठवां बालक जिसके बारे में भविष्यवाणी हुई थी। यदि यह भी कंस के हाथ लग गया तो?

वर्षों की साधना और कारागृह में बंद रहने की पीड़ा सबकुछ व्यर्थ चला जाएगा। देवकी को पता है कि जिसे वह अपनी कोख से जन्म देने वाली है, वह कोई साधारण बालक नहीं होगा। उसके जन्म से पहले ही उसके सिर पर दुष्टों का नाश करने का भार है। उसकी प्रतीक्षा हो रही है।कंस अहंकारी है और भयभीत भी। इसलिए वह देवकी के गर्भ में पलने वाले बच्चे के जन्म लेने की पल पल प्रतीक्षा करता है।वह अपने हाथों से उसके सभी बच्चों को मार देना चाहता है। अहंकार आसन्न संकट को नष्ट करना चाहता है। इसीलिए कंस देवकी के बच्चों को जन्म लेते ही स्वयं अपने हाथों से मृत्यु प्रदान करता है। देवकी और वासुदेव को यही चिंता खाए जा रही है कि किस प्रकार इस बच्चे को कंस से बचा लिया जाए।समाज को पतन से बचाने के लिए, उसकी रक्षा के लिए किसी न किसी को तो कष्ट उठाना ही पड़ता है।

देवकी इस समय यही कर रही है।जगत के तारणहार को प्रकट करने से पहले होने वाली पीड़ा दो प्रकार की होती है। यह कष्टदायक होती है और आनंददायक भी। संसार का रचयिता जब स्वयं की रचना करता है तो यह क्षण केवल कष्टदायक कैसे हो सकता है। देवकी प्रसव पीड़ा के आनंद में भी डूबी है।कारा प्रहरी सतर्क हैं।कंस द्वारा नियुक्त दाई, वैद्य चिकित्सक किसी यंत्र की भांति देवकी पर दृष्टि लगाए हुए हैं। उन्हें देवकी को प्रसव होने की सूचना अविलंब कंस को देने का आदेश है। ऐसा न करने पर देवकी के जन्म लेने वाले बच्चे से पहले उन्हें मृत्युदंड मिल जाएगा। प्रसव पीड़ा प्रारंभ होने पर प्रसूता का खान-पान छूट जाता है। अत्यंत कष्ट और आनंद की घड़ी में भोजन किसे आकर्षित कर सकता है। भक्त इसीलिए उपवास रखते हैं।

परंतु कंस के गुप्तचरों की दृष्टि से बचने के लिए देवकी ने अन्य दिनों की भांति भोजन लिया है। हां वासुदेव ने आज अपनी थाली और देवकी की थाली के भोजन को एक साथ मिला लिया है। उन्होंने तेजी से भोजन किया और देवकी के भाग का अधिकांश भोजन भी उन्होंने ही किया है।एक दूसरे का साथ देने से संकट को समेटा जा सकता है।घंटा, घड़ी,पल बीत रहे हैं। संसार को दुष्टों से मुक्ति दिलाने वाला किसी भी क्षण अपने आने की घोषणा कर सकता है।कारा प्रहरी,दाई वैद्य सब ऊबकर निद्रा के अंक में समाते जा रहे हैं। दुर्भाग्यशाली लोग युगों युगों में होने वाली ऐसी घटना के साक्षी कैसे बन सकते हैं। और जैसे ही उन सबकी आंखों ने निद्रा का वरण किया कि संसार के पालनहार तारणहार ने माता देवकी की कोख से संसार पटल पर प्रवेश किया। बोलो देवकीनंदन श्री कृष्ण की जय।

राजेश बैरागी

राजेश बैरागी बीते ३५ वर्षो से क्षेत्रीय पत्रकारिता में अपना विशिस्थ स्थान बनाये हुए है l जन समावेश से करियर शुरू करके पंजाब केसरी और हिंदुस्तान तक सेवाए देने के बाद नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा के संपादक और सञ्चालन कर्ता है l वर्तमान में एनसीआर खबर के साथ सलाहकार संपादक के तोर पर जुड़े है l सामायिक विषयों पर उनकी तीखी मगर सधी हुई बेबाक प्रतिक्रिया के लिए आप एनसीआर खबर से जुड़े रहे l हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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