राजेश बैरागी । ग्रेटर नोएडा के पूरब और पश्चिम को जोड़ने वाली यह सड़क लगभग 32 किलोमीटर लंबी है।चार मूर्ति गोलचक्कर से शुरू होकर सिरसा गोलचक्कर तक पहुंचने वाली 130 मीटर चौड़ी इस सड़क को ग्रेटर नोएडा की जीवनरेखा भी कहा जाता है। नोएडा दिल्ली, गाजियाबाद से प्रतिदिन आने जाने वाले एक लाख से अधिक वाहन चालक इस पर खूब फर्राटा भरते हैं परंतु चार मूर्ति गोलचक्कर से बारह किलोमीटर पर आने या जाने वालों के अचानक पांव ठिठक जाते हैं।
देवला गांव के सामने लगभग पचास मीटर लंबा इस सड़क का यह टुकड़ा पूरी तरह अनबना है।इसे कभी बनाया ही नहीं गया।इस हिस्से के एक तरफ प्राधिकरण के वर्क सर्किल -7 का एक बोर्ड लगा है जिसपर स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह प्राधिकरण की भूमि नहीं है और इस पर कोई निर्माण या विकास कार्य नहीं किया जा सकता। बोर्ड पर आगे लिखा है कि इस भूमि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का स्थगनादेश है।इसी हिस्से के दूसरी ओर मै. तोशा इंटरनेशनल कंपनी का बोर्ड लगा है। इस बोर्ड पर कंपनी ने इस भूमि को अपना बताते हुए इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश की जानकारी सार्वजनिक की है।
दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2014 में एक रिट पिटीशन संख्या 60498 में इस भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। उसके बाद क्या हुआ? संभवतः आज प्राधिकरण के किसी अधिकारी को इस संबंध में कुछ भी पता नहीं है।सारा शहर जिस सड़क से रात और दिन आवागमन करता है, उसके एक मामूली से हिस्से को उसके हाल पर छोड़े रखने से क्या सिद्ध होता है?
यदि यह कार्य ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कराता है तो किस मद में? व्यापक जनहित में प्राधिकरण इस भूमि को कभी भी अधिग्रहित कर सकता था। उच्च न्यायालय से स्थगनादेश हटवाया जा सकता था और भूमि मालिक को कहीं और इतनी भूमि दी जा सकती थी। इस संबंध में एक मित्र ने बहुत सुंदर कारण बताया। उसने कहा,यह सड़क बहुत महत्वपूर्ण और अच्छी है, प्राधिकरण नहीं चाहता कि इसे किसी की नजर लगे।