राजेश बैरागी । सेक्टर 96 में निर्माणाधीन नोएडा प्राधिकरण के प्रशासनिक मुख्यालय का बीते बुधवार को मुख्य कार्यपालक अधिकारी लोकेश एम ने निरीक्षण किया। उन्होंने मौके पर ही भवन के स्तम्भों, फिनिशिंग और डिजाइन को लेकर कई प्रश्न पूछे। संबंधित अधिकारियों द्वारा माकूल जवाब देने में असफल रहने पर उन्होंने भवन की मजबूती और उपयोगी होने का ऑडिट दिल्ली आई आई टी से कराने का आदेश दिया। यह भवन पिछले कुछ सालों से बन रहा है।इसे बनाने वाले बिल्डर को लेकर विवाद भी खड़ा होता रहा है। पूर्व सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने बिल्डर के विरुद्ध कई बार कार्रवाई की थी परंतु परिणाम नहीं निकला।यह कई सौ करोड़ की परियोजना है।इसे कभी का बनकर तैयार हो जाना चाहिए था। परंतु यह अभी तक अधूरा है।मेरी जानकारी के अनुसार नये सीईओ लोकेश एम इंजीनियर नहीं हैं।वे आईएएस होने से पहले दंत चिकित्सक थे। एक दंत चिकित्सक किसी भवन के निर्माण की कमियों को कैसे पहचान सकता है? यह प्रश्न किसी विशेष योग्यता का मुहताज नहीं है।
किसी घर या संस्थान के मुखिया को हर क्षेत्र में विशेष योग्य होना अनिवार्य नहीं है। केवल उसकी आंखें खुली हों और उसकी नीयत ठीक हो तो उसे भला बुरा पहचानने में कोई देर नहीं लगेगी। उत्तर प्रदेश के माथे के तिलक और सबसे धनी नोएडा प्राधिकरण में एक भारी भरकम अभियांत्रिकी विभाग है। इस विभाग और नियोजन विभाग की देखरेख में बन रहे अपने ही प्रशासनिक भवन के निर्माण में लापरवाही बरतने की सजा क्या हो सकती है? संभवतः स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट मिलने के बाद अपनी डिग्री और योग्यता को बेच खाने वाले इंजीनियरों पर लोकेश एम कोई कार्रवाई करें। मुझे आशा है कि दंत चिकित्सक होने के नाते वे प्राधिकरण के उन दांतों को भी अवश्य पहचान लेंगे जिन्हें केवल खाना ही आता है।