गौतम बुध नगर में जिला पंचायत चुनाव के कारण रुका जिला अध्यक्ष का चयन जुलाई माह खत्म होने के बाद भी शीर्ष नेतृत्व के चिंतन में उलझा हुआ है जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिसोदिया ने 15 दिन पहले संकेत दिए थे कि 24 और 25 जुलाई तक पूरे उत्तर प्रदेश में जहां-जहां जिला अध्यक्ष बदले जाने हैं वहां बदल दिए जाएंगे ऐसे में गौतम बुध नगर भाजपा जिला अध्यक्ष के लिए भी दावे और लोगों के सपने बड़े हो गए थे ।
लखनऊ से आए पर्यवेक्षक के सामने लगभग ढाई दर्जन लोगों ने नेताओं ने अपना-अपना दावा प्रस्तुत किया था पर्यवेक्षक के सामने ब्राह्मण, क्षत्रिय और गुर्जर समाज के लोगों ने अपने जातीय समीकरण की दुहाई देते हुए इस बार जिलाध्यक्ष के पद के लिए अपनी दावेदारी को उपयुक्त बताया था । ऐसे में भी दावेदार बीते सोमवार तक किसी न किसी जिलाध्यक्ष की दावेदारी को तय मान रहे थे किंतु जिलाध्यक्ष के तय होने में हो रही देरी का असर महीने भर से भाजपा के लगातार हो रहे कार्यों में नेताओं की ना दिखाई देने से हो रहा है
कभी दिन-रात गुलजार रहने वाला भाजपा जिला कार्यालय जुलाई माह में वीरानगीका ठिकाना बन गया है एनसीआर खबर ने जुलाई के महीने में 10 से ज्यादा बार कार्यालय का दौरा किया और पाया की अलग-अलग कारणों से वर्तमान जिला टीम के लोग वहां मौजूद नहीं है तो मंडल स्तर के पदाधिकारियों ने तो महीनों से जाना छोड़ दिया है। सभी लोग सांसद और विधायक के बीच चल रहे द्वंद में अपने-अपने समीकरण साधने में लग गए है ।
कई बार मौजूद एक या दो पदाधिकारी ने एनसीआर खबर को बताया कि अधिकांश लोग या तो अपने अपने जुगाड़ के लिए लखनऊ भाग रहे हैं या फिर जिनको यह उम्मीदें हैं कि उनको नई कार्यकारिणी में कोई जगह नहीं मिलेगी वह अपने घर बैठ गए जिसका सीधा असर आजकल चल रहे पौधारोपण कार्यक्रम पर भी दिख रहा है ।
संगठन की ओर से जिला कार्यकारिणी, मंडल और बूथ स्तर तक के संगठन के पदाधिकारी को 200 पौधा प्रति पदाधिकारी का लक्ष्य दिया गया है । किंतु उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पदाधिकारी कार्यालय में दिखाई नहीं देते स्थिति यह है किस जिले से लेकर मंडल तक पदाधिकारी अपने अपने पद के जुगाड़ में लगे हुए हैं ऐसे में सबका ध्यान पौधारोपण पर कम और अपनी आगे की राजनीति को साधने में ज्यादा लगा हुआ है संगठन की इसी केंचुआ नीति के चलते लगातार नेताओं में असंतोष पैदा हो रहा है जिला कार्यकारिणी के सदस्य ने एनसीआर खबर से नाम ना छापने पर कहा कि जिले में पद लेना बिना पैसे के बेगारी करने जैसा है । संगठन ने प्रति पदाधिकारी 200 पौधे का लक्ष्य तो दे दिया है किंतु 200 पौधों को ले जाने के लिए एक छोटा हाथी चाहिए होता है जो अगर प्रतिदिन लेकर घूमेगा तो 8 से ₹10000 खर्च हो जाते हैं ऐसे में 15 अगस्त तक प्रतिदिन आठ से दस हजार कोई पदाधिकारी बिना किसी लक्ष्य के क्यों खर्च करें । शीर्ष नेतृत्व से महीने भर से जिले की टीम घोषित नहीं हो रही है जिले की टीम के बाद महिला मोर्चा युवा मोर्चा और मंडल की टीमें तय होंगी जिसके बाद पदाधिकारियों में उत्साह आएगा किंतु जिस तरीके से लगातार इस पूरे प्रकरण को खींचा जा रहा है उससे एक ही बात बेहतर समझ आ रही है की कार्यकारिणी घोषित होने तक घर बैठे चुनाव के समय वैसे भी सभी कार्यकर्ताओं को उनकी गलतियों के लिए क्षमा कर चुनाव जीतने में योगदान देने को कहा ही जाएगा ।