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और हाँ…आज मुझे कुत्तों से भी डर नही लगा! धीरज फूलमती सिंह

धीरज फूलमती सिंह । कुछ दिन पहले मैं कहीं गया था,देर रात अपने घर लौट रहा था,सडक सुनसान थी। मैने देखा,मेरे घर जाने वाली सडक के मोड पर एक महिला बाल्टी में कुछ लिये हुए थी। उसके आसपास आवारा कुत्तों का जमावड़ा था,कुत्तो की पुंछ स्नेह से हिल-डूल रही थी, हमारे इलाके में आवारा कुत्ते बहुत हो गये है,महानगर पालिका भी कुछ कर पाने में असमर्थ सी हो गई है।

इतने में वह महिला सडक के एक कोने में गई और बाल्टी में से कुछ निकाल कर दोने जैसे प्लेट में कुछ खाद्य पदार्थ उडेलनें लगी। सभी कुत्ते खाद्य पदार्थ पर झपटा मार उसे खाने लगे। मैं यह दृश्य चलते-चलते सरसरी नजर से देख रहा था,साथ ही कुत्तों से बराबर सावधान भी था,मुझे कुत्तों से बडा डर लगता है लेकिन पशु प्रेम का यह दृश्य देख कर मुझे अच्छा भी लग रहा था। महिला के प्रति सम्मान भी जाग रहा था।

एक दिन फिर मैं देर रात लौट रहा था, सडक के किनारे फिर से मुझे वैसा ही दृश्य नजर आया,सारे कुत्ते मिल जुल कर कुछ खा रहे थे,शायद खिचडी जैसा कोई पदार्थ था। इस बार मैने महिला को गौर से देखा, कुछ-कुछ मेरी ही उम्र की लग रही थी,मुझसे गोरी थी, बाल थोडे घुघरालें पर बिखरे थे, चेहरे पर सुकून था,शिक्षित और सभ्य लग रही थी,पहनावा भी मध्यम वर्गीय पर आधुनिक था,हाथ में अच्छी घडी पहने थी। मैने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया,वह भी मुस्कुराई, मैने उसके इस नेक काम की तारीफ की तो उसने जवाब में धन्यवाद कहा। कुत्तो से पुरी तरह सावधान रहते हुए मैने हाथ हिलाकर उस से बिदा ली।

ज्यादातर काम के सिलसिले में मुझे देर रात हो जाती है,एक दो बार और मैने वह दृश्य देखा,घर लौटते समय उस महिला के प्रति सम्मान जताता था और प्रति उत्तर में धन्यवाद पाता था। थोडे दिन पहले अपने एक जान पहचान वाले व्यक्ति के घर जाना हुआ तो सीढियां चढते समय वही महिला मुझे नजर आयी,उसके हाथ में एक झोला था,वह शायद किसी काम से बाहर जा रही थी ? वह मुझे देख कर मुस्कुराई, मै भी मुस्कुराया,आँखों ही आँखों में हमने एक दूसरे को बाय कहा और मैं परिचित के फ्लेट पर चला गया।

परिचित से मिलने के बाद मैने जिज्ञासावश उस महिला का जिक्र किया, उसके विषय में बताया तो परिचित शख्स ने सहमति में सर हिलाया मगर उनके चेहरे पर सकारात्मक भाव नजर नही आ रहे थे,न खुशी झलक रही थी,इतने में परिचित शख्स की पत्नी जी बोलने लगी, उनकी बोली में उस महिला के प्रति रूखापन साफ झलक रहा था। उन्होने मुझे उस महिला के प्रति जो जानकारी दी,मै उस से अवाक था।
बाद में ऐसे ही कुछ जगह और जिक्र किया तो सबकी उस महिला के प्रति एक जैसी ही राय थी। मुझे वह सब जानकर आश्चर्य हो रहा था,अब मुझे भी उस महिला में रहस्य ही नजर आ रहा था। कुत्तो को खाना खिलाते,एक रात वह फिर मिली लेकिन इस बार मैं उस से औपचारिक ही रहा,बात नही किया।

उसके आस पास के लोगों से पता चला कि वह किसी मल्टी नेशनल कंपनी में काम करती है। उसके माता पिता की मर्जी से शादी हुई थी,पति के साथ नही जमा तो तलाक ले लिया,एक बेटा हुआ था,उसे पति के पास ही छोड दिया। दूसरी शादी अपनी मर्जी से किया था,दो बेटियां हुई लेकिन दूसरे पति से भी नही जमा,छोड़ दिया,तलाक नही हुआ है,बेटियां दूसरे पति के पास है। बच्चे उस से मिलने नही आते है,न वह जाती है,न बुलाती है। यहां लीव ईन रिलेशन में किसी तीसरे के साथ रहती है,आये दिन मार पीट होती है।
छक कर शराब और सिगरेट का सेवन करती है,वह कुछ ज्यादा ही स्वच्छंद स्वभाव की है,बात-बात पर आधुनिक विचारों की दलील देते रहती है। उपर से अपनी सोसाइटी में पशु प्रेम के नाम पर सबको धमकाती और ब्लेकमेल करती है। एक-आध बार पशु प्रेम के चलते लोगों को पुलिस स्टेशन की सैर भी करवा चुकी है। सोसाइटी के लोग उस से परहेज के साथ नफरत और घृणा भी करते है लेकिन थोडा बहुत डरे भी रहते है कि पता नही कुत्ता प्रेम में कब किसी को फंसा दे,नपवा दे।

और मैं यही सोच रहा हूँ कि यह कैसा स्वभाव है जो अपने बच्चों और पति से प्रेम करना नही सिखाता लेकिन कुत्तों से प्रेम करना सिखाता है। स्वच्छंदता और आधुनिकता का अर्थ सिर्फ शारिरीक सुख की प्राप्ती ही है क्या ? शिक्षित और नौकरीपेशा होने का अर्थ यह तो नही होता कि आप हर फिक्र को धुयें में उडा दें और शराब में डूबों दें।

कल रात को भी मैं देर से लौटा,मैने उसे कुत्तों के साथ सडक के किनारे देखा लेकिन इस बार मैंने उस से कन्नी काट ली,किनारा कर लिया और हाँ… आज मुझे कुत्तों से भी डर नही लगा!

पोस्ट सोशल मीडिया से लिया गया है, लेख में दिए विचारो से एनसीआर खबर का सहमत होना आवश्यक नही है

NCRKhabar Mobile Desk

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