राजेश बैरागी । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रविवार को नोएडा में हुई जनसभा में भाजपा के एक बड़े नेता दिखाई नहीं दिये। मैं उनको जानता हूं।जो जिसे जानता है, उसे ही खोजता है। मालूम करने से पता चला कि उन्हें न्यौता नहीं मिला था। न्यौता तो बहुतों को नहीं मिला था और शहर में यदि मुख्यमंत्री आ रहे हैं तो न्यौते की बहुत आवश्यकता भी नहीं होती।
इस जनसभा का आयोजक कौन था? क्या यह सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा का आयोजन था? एक समाचार माध्यम ने बताया कि नोएडा प्राधिकरण ने इस आयोजन में सवा करोड़ रुपए खर्च किए हैं। प्राधिकरण स्वायत्त होने के बावजूद सरकारी संस्थान है। सरकार भाजपा की है। तो इस जनसभा का आयोजक कौन हुआ? भाजपा के आयोजन में विपक्षी दलों का क्या काम।
इतना भी लोकतंत्र देश में नहीं आया है कि कोई राजनीतिक दल अपने कार्यक्रम में विपक्षी दलों को आमंत्रित करे। और फिर समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर सभी से निवेदन किया गया था कि वे आएं। घर घर जाकर बुलावा देने का रिवाज तो अब ब्याह शादियों तक में नहीं रहा। आज मेरे व्हाट्सएप पर एक रिश्तेदार ने कल की शादी का निमंत्रण पत्र भेज दिया है। अब मेरी श्रद्धा है कि मैं जाऊं या न जाऊं, उसकी बला से। परंतु घर के लोगों को निमंत्रण पत्र नहीं देने का भी रिवाज है। उन्हें कारज में शामिल किया जाता है। घर के रूठों को मनाया भी जाता है। तो उन भाजपा नेता को इस आयोजन में शामिल क्यों नहीं किया गया। चुगलखोर बता रहे हैं कि वे इस बार सांसद का टिकट मांग रहे हैं।