आज एक मीडिया पोर्टल पर समाचार देखा कि नोएडा एक्सटेंशन में कुछ हुआ । मेरा माथा ठनका कि जब नोएडा एक्सटेंशन कुछ है ही नहीं तो फिर समाचारों में या व्यापारियों के विज्ञापनों में नोएडा एक्सटेंशन क्यों लिखा जाता है । अक्सर मैं देखता हूं कि इस क्षेत्र में बाहर से आए लोगों को यह जानकारियां नहीं होती हैं । और वह इसे अपने पते में हमेशा नोएडा एक्सटेंशन लिखने की कोशिश करते हैं। जबकि यह अधिकृत तौर ग्रेटर नोएडा वेस्ट है। इस बात के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने एक सर्कुलर भी निकाला था जिसमें कहा गया था कि कोई भी समाचार पत्र, बिल्डर या व्यापारी या निवासी अपने पते में नोएडा एक्सटेंशन नहीं लिख सकता यह सिर्फ ग्रेटर नोएडा वेस्ट लिखा जाएगा। आइए समझते है ।
Nh-24 से सटा और नोएडा से निकल रही हरनंदी नदी के बाद बसे हाई राइज सोसाइटी के बने सेक्टर 1, 2,3, 10,12, टेक्जोन 4, 16 B और नालेज पार्क 5 को 2007 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा बसाया गया है । ग्रेटर नोएडा में आवासीय बनाने से पहले ये जगह औद्योगिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित की गई थी । किंतु बाद में इसे आवासीय क्षेत्र में बदल दिया गया जिसको लेकर तमाम मुकदमे और विवाद सामने आते रहे। बिल्डर माफियाओं ने इस जगह को नाम दिया नोएडा एक्सटेंशन। इस नाम से उनको यहां पर हाई राइज सोसायटी के फ्लैट बेचने में आसानी थी आरंभ में लोगों को यह समझाने में आसानी होती थी कि सेक्टर 122 के बाद हरनंदी नदी के बाद यह नोएडा एक्सटेंशन शुरू हो रहा है ।
यहां पर आने वाले तमाम मीडिया कर्मी, इंजीनियर से लेकर आम आदमी तक के जुबान पर एक नाम बस गया नोएडा एक्सटेंशन । लेकिन सच में यह नोएडा का हिस्सा नहीं है। 2017 में जब नोएडा एक्सटेंशन नाम ज्यादा चलने लगा तो इसको देखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इसके लिए बाकायदा एक सर्कुलर निकाला और कहा यह जगह ग्रेटर नोएडा वेस्ट कहलाएगी नाकि नोएडा एक्सटेंशन । किंतु नोएडा में रहने वाले तमाम मीडिया हाउस अभी भी इसको नोएडा एक्सटेंशन समझते हैं । यह बात समय-समय पर जाहिर होती रहती है जब वह नोएडा के एसी ऑफिस में बैठकर ग्रेनो वेस्ट का कोई समाचार देते है । ऐसे में अगर आपका कोई एजेंडा नहीं है तो कृपया ग्रेटर नोएडा वेस्ट के समाचारों को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के नाम से लिखा जाए कई बार हम गलत को इतना ज्यादा लिख देते हैं कि लोगों को वह सही लगने लगता है लेकिन उस गलत को गलत डलवाने के जिम्मेदार हम होते हैं।
जेवर एयरपोर्ट नही, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट
ऐसा ही एक और भ्रम अक्सर राजनेताओं और पत्रकारों के बीच देखता है जब समाचारों में राजनेताओं के माध्यम से यह लिखा जाता है कि जेवर एयरपोर्ट में ही ऐसा हुआ क्योंकि अधिकृत तौर पर जेवर एयरपोर्ट भी कोई सही शब्द नहीं है । लेकिन राजनेताओं से लेकर पत्रकारों तक यह नाम सबकी जुबान पर चढ़ गया है जबकि इसका अधिकृत नाम नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट है । यहां भी फिर से हम वही गलतियां कर रहे हैं जो कम से कम पत्रकारों से तो अपेक्षा नहीं की जा सकती है ।
राजनेताओं के अपने एजेंडे हैं उनकी बातें कुछ भी हो सकती हैं लेकिन पत्रकारों को जनता को समाचार देते हुए इस पर भी ध्यान रखना चाहिए । आज यमुना क्षेत्र में काम कर रहे राजनेताओं अवैध प्लॉट बेचने वाले बिल्डरों ने नोएडा इंटरनेशनल को जानबूझकर जेवर एयरपोर्ट लिखा हुआ है यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गलत अगर एक बार लोगों के दिमाग में छा जाता है तो फिर लोग सही को भूलने लगते हैं नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट में प्रमुख रूप से नोएडा प्राधिकरण और नियाल कंपनी की साझेदारी है इसलिए उसके नाम में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिखा गया है ।
गलत को कहने से कैसे बदलता है सच, कैसे हम भूल जाते है असली नाम, हरनंदी बनी हिंडन
प्रश्न यह है कि आखिर हम नामों को लेकर इतना चिंतित क्यों हो ? उसका कारण हैं हमारी विरासत हरनंदी नदी का हिंडन नदी में बदल जाना । गाजियाबाद और नोएडा में रहने वाले अधिकांश लोग इस नदी को हिंडन के नाम से जानते हैं जबकि इस नदी का नाम हरनंदी नदी है
यह सहारनपुर की काली नदी की सहायक नदियों के साथ मिलकर यहां तक पहुंचती है प्रदूषण की वजह से आज पानी बहुत कम होता है अक्सर यह सूखी रहती है और यहां के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा नाम मात्र को है।
यह कब हरनंदी से हिंडन हो गई । इसकी जानकारी आज किसी के पास नहीं है । झूठ को बोलते बोलते आज स्थिति यह है कि सरकारी कागजों में भी ये हरनंदी से हिंडन नदी हो गई है नोएडा के इतिहास की जानकारी रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा कहते हैं कि यूं तो हरनंदी को हिंडन कहने का प्रचलन कब से शुरू हुआ इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। शायद यह अंग्रेजो के गलत उच्चारण के कारण हुआ हो या उस समय कोई अंग्रेज इसका नाम हिंडन कर दिया हो ऐसा लगता है l
लेकिन एक गलत शब्द ने इस पूरे सांस्कृतिक विरासत को बदल दिया आपको जानकर हैरानी होगी भारत में किसी भी नदी का नाम अंग्रेजो के नाम पर नहीं है सिर्फ यह एक हिंडन नदी जिसको वास्तव में हरनंदी कहा जाता है अंग्रेजी नाम पर हो गई है क्योंकि हमने गलत को सही मान लिया । अंग्रेज भारत में प्रचलित कई शब्दों को अपने हिसाब से लिखते, कहते रहे होंगे, जैसे गंगा जी को वह गंगेज कहते थे । लेकिन भारतीय जनमानस में गंगा जी हमेशा गंगा जी रही। तो फिर हरनंदी हिंडन क्यूँ ?
पंडारा रोड या पांडव रोड
गलत कहने की परंपरा कैसे कुछ भी कहलवा देती है इसका एक और उदाहरण दिल्ली का पंडारा रोड है हम सब दिल्ली के पंडारा रोड को जानते हैं । प्रसिद्ध पंडारा रोड पर खाने-पीने के बेहतरीन सामान के लिए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि असली नाम पंडारा रोड नहीं था ।
जी हां दिल्ली में दिल्ली के निर्माताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली पर जिन जिन ने राज किया उनके नाम पर सड़कों के नाम रखे गए इसलिए यहां की सड़कों पर सम्राट अशोक, शेरशाह, इब्राहीम लोधी मार्ग से लेकर अकबर रोड तक तमाम आपको ऐसी सड़के मिलेंगी लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पूरे प्रकरण में कहीं भी आपको पांडवों के नाम पर कोई सड़क नहीं मिलेगी जिन्होंने दिल्ली को सबसे पहले इंद्रप्रस्थ के नाम से बसाया था तो क्या हमारे नीति निर्धारक वाकई ऐसी गलती कर गए थे
जी नहीं कदाचित पंडारा रोड का नाम पांडव रोड ही रखा गया था । लेकिन कई दशक पहले अंग्रेजी कारसिव लिपिकीय त्रुटि में Pandava के स्थान पर Pandara कह दिया गया क्योंकि दस्तावेजी लेखक ने वी को आर की शेप में बनाया हुआ था । और आगे चलकर यही पांडव रोड पंडारा रोड हो गया जो अब दिल्ली के सरकारी दस्तावेजों तक में पंडारा रोड है विज्ञापनों में पंडारा रोड है लोगो की बोलचाल में पंडारा रोड है ।
r और v को लिखने में अक्सर भ्रम की स्थिति का एक उदाहरण
ऐसे में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि समाजसेवियों राजनेताओं और पत्रकारों को खासतौर पर किसी जगह का नाम लिखते वक्त समय सही पहलुओं को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए जिससे ना तो उस जगह का इतिहास बदले ना ही उस जगह कुछ लोग गलत नाम से जाने आशा है आप कोई जानकारी पसंद आई होगी।