राजेश बैरागी l हालांकि मेरा उद्देश्य किसी की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाने का नहीं था परंतु कुछ सुधी पाठकों ने कल की पोस्ट ‘भाजपा का टिकट एक, बीमार अनेक’ की एक पंक्ति को लेकर नाखुशी जताई। उन सुधी पाठकों का कहना था कि गौतमबुद्धनगर के पूर्व जिलाधिकारी बी एन सिंह का यहां के सांसद समर्थकों से कभी टकराव नहीं हुआ है और वह पंक्ति पूरी तरह झूठ है जिसमें लिखा है कि उन्होंने सांसद समर्थकों से टकराना भी शुरू कर दिया है। मैं उन सुधी पाठकों का धन्यवाद ज्ञापित करता हूं जिन्होंने यह प्रतिक्रिया दी।
दरअसल बीते रविवार को पूर्व जिलाधिकारी बी एन सिंह ने जेवर विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में लोगों के साथ बैठकें की थी।ऐसा वे पिछले कुछ समय से कर रहे हैं।वे इसे अपने शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के अभियान का हिस्सा बताते हैं जबकि उनके समर्थक आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उनकी तैयारी से जोड़ते हैं। चूंकि उनपर एक वरिष्ठ भाजपा नेता का वरदहस्त बताया जाता है इसलिए इस बात में कोई संशय नहीं है कि यदि उन्होंने गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा तो वे वर्तमान सांसद डॉ महेश शर्मा के स्थान पर भाजपा प्रत्याशी बनना चाहेंगे।
ऐसी परिस्थितियों में दोनों के समर्थकों के बीच बहस मुबाहिसा और टकराव होना कोई बड़ी बात नहीं है। सोशल मीडिया और सोमवार के समाचार पत्रों में इसी प्रकार के समाचार प्रकाशित हुए थे। बी एन सिंह को भावी सांसद के रूप में देखने के इच्छुक लोग यदि इस प्रकार की किसी घटना से इंकार करते हैं तो यह भी गलत नहीं है। हालांकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसी घटनाओं का समाचार बन जाना और उसे सिरे से खारिज करने का कारोबार खूब चलता है। मुझे दोनों ही बातें खूब आकर्षित करती हैं।