main newsNCRKhabar Exculsiveएनसीआरग्रेटर नॉएडा

The Dadri Story : हार रही भाजपा की जीत और जीत रही सपा की हार के पीछे की असल कहानी

दादरी से नगर पालिका चेयरमैन पद की भाजपा प्रत्याशी गीता पंडित लगातार तीसरी बार अध्यक्ष चुनी गईं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी अय्यूब मलिक को 5758 मतों से मात दी है। मतगणना के बाद रिटर्निंग अफसरों ने विजेताओं को जीत का प्रमाणपत्र सौंपे। नगर पालिका परिषद दादरी के अध्यक्ष पद के लिए भाजपा प्रत्याशी गीता पंडित और सपा प्रत्याशी अय्यूब मलिक के बीच टक्कर रही। गीता पंडित शुरुआत से ही बढ़त पर रही और आखिर में सपा प्रत्याशी को 5758 के अंतर से हरा दिया। गीता पंडित को 22,243 वोट और अय्यूब मलिक को 16485 वोट मिले।

लेकिन चुनाव शुरू होने के साथ बड़े ट्रेड पंडितों और जनता की नाराजगी के बावजूद कैसे गीता पंडित की हार जीत में बदल गई और कैसे अयूब मलिक जीतते जीतते चुनाव के साथ अपने राजनीतिक कैरियर को भी हार गए यह चर्चा का विषय है । हार को जीत में बदलने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इसी बाजीगरी के बल पर भाजपा उत्तर प्रदेश में 17 महापौर के चुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है और नगर पंचायत और नगरपालिका में भी सपा बसपा और कांग्रेस के जीते हुए प्रत्याशियों से ज्यादा पर जीत कर कर जनता की पसंद साबित कर दिया है । ऐसे में दादरी नगर पालिका की जीत अपने आप में महत्वाकांक्षा,मनमानी षड्यंत्र और जीत की अदभुद कहानी है ।

दादरी

नोएडा ग्रेटर नोएडा के उदय से पूर्व कभी बुलंदशहर गाजियाबाद का मुख्य बाजार कहलाने वाला दादरी शहर रेलवे लाइन के साथ साथ बसा हुआ है जिसे सड़क मार्ग से भी जोड़ा गया है । क्षेत्र में पुराना बड़ा व्यापारिक केंद्र होने के कारण आज भी इसकी पहचान है । वर्तमान में दादरी तीन दिशाओं में फैला हुआ है जिसमे नोएडा, ग्रेटर नोएडा से एक मार्ग तिलपता से है जो एन एच 91 के जरिए गाज़ियाबाद से जुड़ता है । दादरी नगरपालिका में मुख्यतः ब्राह्मण वैश्य और मुसलमान प्रमुख रूप से अपना प्रभाव रखते है । हिंदू और मुस्लिम आबादी में यहां 35% मुस्लिम और शेष हिंदू है जिसमे जाटव 12 प्रतिशत, ब्राह्मण 10% गुर्जर 7 प्रतिशत, वैश्य 10 प्रतिशत, जाट 1.5 प्रतिशत, पंजाबी 5%, ओबीसी 15% और वाल्मीकि 3.5 प्रतिशत है

महत्वाकांक्षा

दादरी की पृष्ठभूमि में बीते 20 वर्षों में ब्राह्मण और मुस्लिम राजनेताओं का दबदबा रहा है व्यापारिक केंद्र होने के नाते वैश्य भी लगातार अपना राजनीतिक वर्चस्व बनाने के प्रयास में लगे है । दादरी के ब्राह्मण परिवारों के राजनेताओं में वत्स परिवार की राजनीति पुरानी है लेकिन स्व विजय शर्मा ने राजनीति में व्यापारी और वैश्य समाज से जबरदस्त कंबीनेशन बनाकर दादरी में ब्राह्मण समाज का नेतृत्व ले लिया l उनकी असमय मृत्यु के बाद उनकी पत्नी गीता शर्मा (पंडित) को राजनीति में बढ़ने का मौका मिला । वही दादरी के दूसरे छोर पर मुस्लिम समाज से केके सूफी के बाद अयूब मलिक दूसरा महत्वपूर्ण चेहरा है जो लगातार 15 सालों से दादरी में मुसलमानों के वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे है । भाजपा को वैश्य समाज की पार्टी माना जाता है और यहां पर जग भूषण गर्ग पुराने भाजपाई रहे हैं ऐसे में इस बार दादरी केनगर पालिका में महत्वाकांक्षा की लड़ाई वत्स परिवार बनाम गीता पंडित हुई और गीता पंडित के लगातार तीसरी बार टिकट मिलने के बाद जग भूषण गर्ग की महत्वाकांक्षा को खेल के छिपे खिलाड़ी ने हवा दी और अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देकर भाजपा के सामने निर्दलीय खड़ा कर दिया । वही भाजपा बनाम विपक्ष की राजनीति में बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए अयूब मलिक एक बार फिर से मुस्लिम वर्चस्व की महत्वाकांक्षा लेकर चुनाव में खुद गए l

राजनीति

दादरी नगर पालिका की लड़ाई के पीछे की राजनीति दादरी में ना होकर गौतम बुध नगर की राजनीति के हिसाब से भी चली । माना जाता है भाजपा में टिकट वितरण के समय गौतम बुध नगर की भाजपा राजनीति के दो ध्रुव भाजपा में टिकट के लिए आमने-सामने हो गए l गौतम बुध भाजपा में डॉ महेश शर्मा ने जहां सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करने की योजना बनाई थी वही उनके विरोधी गुट ने पहले दौर में दादरी नगरपालिका में उनको उनके मोहरे से ही मात देने की सफल कोशिश कर दी l बृजेश सिंह के साथ टिकट वितरण के समय विरोधी गुट ने यह कहकर गेंद डॉक्टर शर्मा के पाले में डाल दी कि जो पहले से जीत रहे हैं उनको वापस टिकट दिया जाए l ऐसा कहने में उनकी रबूपुरा सीट को लेकर अपनी दावेदारी को भी मजबूत करना था l

वही डॉक्टर महेश शर्मा जेवर और दादरी दोनों ही जगह वैश्य समाज के कार्यकर्ताओं को टिकट का वादा कर चुके थे l बदली परिस्थिति में डा शर्मा जेवर में तो कामयाब हो गए किन्तु दादरी में उनकी मजबूरी गीता पंडित के बन गई ब्राह्मण समाज के नेताओं ने गीता पंडित के टिकट काटने को गौ हत्या प्रचारित करना शुरू कर दिया जिसके कारण उन्हें गीता के नाम को जग भूषण से पहले रख कर जिताऊ प्रत्याशी लिखना पड़ा ।

24 के चुनाव से महज 9 महीने पहले ब्राह्मण समाज के विरोध के कोप भजन से बचने के लिए इस बार डा शर्मा को परशुराम जयंती पर खुद को ना सिर्फ ब्राह्मण समाज के पैर की जुती बन कर रहूँगा कहना पड़ा बल्कि 21 लाख रूपए भी देने पड़े

राजनीति के रोचक खेल में विरोधियों का दूसरा दांव जग भूषण गर्ग को पीछे से समाज के नाम पर खड़ा करने का रहा और वह उसमें भी कामयाब हुए l जग भूषण गर्ग शुरू से खड़ा तो होना नहीं चाहते थे लेकिन समाज की सभा में दबाव के आगे वो ना नहीं कर पाए । भाजपा में पक्ष और विपक्ष की राजनीति में तीसरी एंट्री समाजवादी पार्टी की हुई जहां विधानसभा में हार को नगर पालिका के बहाने जीत में बदलने के लिए राजकुमार भाटी ने बसपा के पुराने कद्दावर प्रत्याशी अयूब मलिक को समाजवादी पार्टी में लाकर खेल को रोचक बना दिया अब भाजपा की आंतरिक राजनीति जग भूषण गर्ग का विरोध और सपा के पास बड़ा मुस्लिम चेहरे अयूब मलिक ने गीता पंडित के जीतने की सारी संभावनाएं धूमिल कर दी । खेल में डॉ महेश शर्मा गुट लगातार पिछड़ता जा रहा था l विरोधियों की चौसर पर यह मान लिया गया कि गीता पंडित चुनाव हारने के साथ ही डा महेश शर्मा भी हार जायेंगे।

षड्यंत्र

जगभूषण गर्ग के नामांकन के साथ ही दादरी में षड्यंत्र की पूरी बिसात बिछा दी गई सबसे पहला काम था l जगभूषण गर्ग के नॉमिनेशन को वापस ना होने देना l उसके लिए दादरी के ही ब्राह्मण समाज से लोगों ने जग भूषण गर्ग को चंदे के तौर पर चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक मदद देनी शुरू की । निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जग भूषण गर्ग अकेले ना दिखे, इसके लिए समाजवादी पार्टी के नोएडा और अन्य जगहों से वैश्य और पंजाबी समाज के नेताओं को समर्थन के नाम पर वहां भेजा गया कई मुस्लिम कार्यकर्ताओं को जग भूषण के साथ खड़ा किया गया ताकि जगभूषण की लड़ाई वैश्य समाज के अलावा भाजपा के खिलाफ सर्व समाज की लड़ाई देखें और बड़ा खेल हो सकेl इस लड़ाई में समाजवादी पार्टी के गुर्जर नेताओं ने भी अपनी ताकत लगाई ताकि बसपा से नाराज गुर्जर और जाट समाज के वोट को जग भूषण की तरफ मोड़ा जा सके l खेल भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने का था l इस षड्यंत्र के आगे भाजपा के महेश शर्मा गुट के सभी जनप्रतिनिधि और संगठन के नेता बेबस हो गए l

कूटनीति

गौतम बुध नगर में दादरी नगर पालिका की लड़ाई अब भाजपा के दो गुटों और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजकुमार भाटी के बीच शह और मात की हो गई थी । जगभूषण गर्ग को वापस ना ला पाना भाजपा जिलाध्यक्ष विजय भाटी के लिए समस्या बनता जा रहा था और उसके बिना गीता पंडित का हारना तय हो चुका था । पार्टी चुनाव में लिए साम दाम दंड भेद के लिए संकेत दे चुकी थी l पहला दांव जग भूषण और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अयूब मलिक के ऊपर पुलिस के छापे डालकर किया गया जिसे सामान्य लोगो में भाजपा की तरफ से फाउल समझा गया l ये दांव का सन्देश जनता में ज़रूर गलत गया लेकिन यह काम कर गयाl दंडनीति के बाद राजकुमार भाटी ने समाजवादी पार्टी की खुली लड़ाई और तेज प्रचार की स्ट्रेटेजी को ही बदल दिया तो जगभूषण गर्ग व्यापारिक व्यापारिक नुक्सान के डर से दबाव में आ गएl

राजकुमार भाटी ने समाजवादी पार्टी के प्रचार की रणनीति को बदलते हुए यह संकेत देने की कोशिश की कि पार्टी ढंग से चुनाव नहीं लड़ रही है और खेल से बाहर है l असल मुकाबला जगभूषण गर्ग और गीता पंडित के बीच है और आज़ाद मालिक को मुस्लिमो का समर्थन मिल रहा है ताकि भाजपा और पुलिस अयूब मालिक को कमज़ोर खिलाड़ी समझ कर छोड़ दे

इसी बीच भाजपा ने लगातार मुस्लिम, गुर्जर और भाजपा से नाराज लोगों से संपर्क साधना जारी रखा लेकिन कूटनीति का असली खेल भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिसोदिया ने शुरू किया l सत्येंद्र सिसोदिया के क्षेत्रीय अध्यक्ष बन्ने के बाद दादरी हारना आताम्घाती कदम था l मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आशीर्वाद लेकर जग भूषण गर्ग को यह संदेश भिजवाया अगर भाजपा में वापस आ जाते हैं तो उन्हें सम्मान भी मिलेगा और जिस पार्टी को मां समझते हैं उनको जीत भी l खुद को मोदी और योगी के पैर की जूती बना देने वाले जग भूषण गर्ग खुद को बेबस पा रहे थे और किसी भी तरीके से षड्यंत्र से बाहर निकलना चाहते थे लेकिन उनके आसपास मौजूद लोग ऐसा होने नहीं दे रहे थे l ऐसे में तय हुआ कि नॉमिनेशन वापसी की जगह वो ५ मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने खेल से हटेंगे ताकि उनका मान बचा रहे और विरोधियों के पास किसी नए चेहरे को लाने की गुंजाइश ना बचे

खेल खिलाड़ी का

5 मई को दोपहर 3:00 बजे जग भूषण गर्ग का फोन स्विच ऑफ होने लगा गर्ग के कार्यालय में बैठे भाजपा विरोधियों ने अचानक शोर मचाना शुरू कर दिया कार्यालय में हड़कंप मच गया l लोगों को अचानक जग भूषण गर्ग के लापता होने और फोन स्विच ऑफ होने और कुछ दिन पड़े छापों का ध्यान आते ही अनहोनी की आशंका होने लगीl शाम 5 बजे भूषण गर्ग का एक फोटो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भाजपा की टीम ने वायरल किया दावा किया कि जग भूषण गर्ग सरेंडर कर गए हैं ।

भाजपा द्वारा जग भूषण गर्ग गर्ग के मुख्यमंत्री के साथ वायरल हुए फोटो के बाबजूद उनके कैम्प में लोगो ने इसे दबाब की मुलाकात समझ और उनके वापस लौटने पर वापस चुनाव की बातें की लेकिन वो हो ना सका

लेकिन जग भूषण गर्ग के वापस ना आने से भाजपा के खिलाफ माहौल और तेज होने लगा l वैश्य समाज से लगातार उनके प्रतिनिधि को भाजपा द्वारा इस तरीके से परेशान किए जाने पर प्रतिक्रियाएं आने लगी l दो दिन तक ऐसा लगा कि भाजपा इस चुनाव में गलतियों पर गलतियां करती जा रही है लेकिन यूपी निकाय चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सधी हुई रणनीति के बीच यह खेल भी कैसे फ़ैल होताl

भाजपा के रणनीतिकारों ने जग भूषण गर्ग के साथ गए नाराज भाजपाइयों को मनाने के लिए नितिन अग्रवाल से लेकर प्रजापति समाज तक के नेताओं को यहां उतार दिया l उधर समाजवादी पार्टी ने अपना सारा ध्यान मुस्लिम के साथ जातीय सद्भाव में गुर्जर जाट पर करना शुरू किया l यह माहौल बनाया जाने लगा की गुर्जर और जाट समुदाय भाजपा के खिलाफ अयूब को वोट कर देंगे l चुनाव के आखिरी दिन भाजपा ने पूरे जिले के आसपास के भाजपा कार्यकर्ताओं को इकट्ठा कर एक बड़ा रोड शो किया और जनता को यह संकेत देने की कोशिश की कि वही जीत रहे हैं l

चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद मुस्लिम समाज में आज़ाद मालिक की जगह अयूब मालिक को लेकर हुई एकता की बातें जब पूरे दादरी शहर के लोगो को पता चली तो दादरी में डॉक्टर महेश शर्मा या गीता पंडित के विरोध की सारी बातें समाप्त होने लगी l नाराज लोगों ने विरोध के स्वरूप वोट नहीं दिया लेकिन जिन्होंने वोट दिया उन्होंने भाजपा को वोट दिया l बदलाव इस तरीके से शांतिपूर्ण था कि लोगों ने वोट डालने के बाद भी यह कहते हुए बातों को टाल दिया कि वोट हमारा निजी मामला है हम नहीं बताएंगेl

साधारणतया सर्वे के दौरान भाजपा का वोटर मुखर रहता है ऐसे में सर्वे कर रहे लोगों ने यह माना गया कि गुर्जर जाट और नाराज लोगों का वोट समाजवादी पार्टी को गया है l स्वयं विधायक तेजपाल नागर शाम ५ बजे तक गुर्जर कालोनी से जाकर लोगो को वोट डलवाते देखे गए l लेकिन परिणाम वाले दिन यह स्पष्ट हो गया कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की अयूब मालिक को मुस्लिम समुदाय का 99% वोट मिला l इसके साथ ही लगभग 500 से 1000 गैर मुस्लिम समाजवादी पार्टी के नेताओं की मेहनत से मिला लेकिन बदले में पूरे दादरी ने एक होकर इस चुनाव की दशा और दिशा बदल दी l

जिसके बाद लगातार तीसरी बार जीतकर गीता पंडित ने इतिहास रचा और एक बार फिर इसके लिए डॉक्टर महेश शर्मा की दावेदारी पर लगने वाला कलंक हल्का हो गया इस पूरे खेल में सबसे बड़ी राहत की सांस जिला अध्यक्ष विजय भाटी ने भी ली,उनके अब तक के कार्यकाल में भाजपा कोई चुनाव नहीं हारी थी लगातार जीत के बाद उनके कार्यकाल खत्म होने के दौर में अगर चुनाव हार जाते तो उनके लिए नुकसानदायक होता ।

अंत भला तो सब भला

दुर्गा सप्तशती में चौथे अध्याय में महिषासुर के वध के बाद लिखा आता है कि उसके गिरते ही चारों ओर हो रहा कोलाहल शांत हो गया, हवाएं शांत बहने लगी । देवताओं ने जीत के बाद राहत की सांस ली। बचे हुए राक्षस पाताल लोक चले गए । देवताओं ने स्तुति गान शुरू किया

दादरी में गीता पंडित की प्रचंड जीत के बाद विरोधी गुट फोन स्विच ऑफ कर दिए । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने बिना हिचक अपनी हार स्वीकार की और चुनाव में किसी भी तरीके की अव्यवस्था से इनकार किया । पार्टी प्रत्याशी अयूब मलिक ने माना उनके साथ मुस्लिम समाज ने तो पूरा साथ दिया लेकिन पार्टी के बड़े कद्दावर नेताओं की मेहनत के बावजूद बाकी वोट लाने में नाकाम रहे l इसके साथ ही उन्होंने आगे चुनाव ना लड़ने की भी घोषणा कर दी ।

भाजपा में विरोधी गुट चुपचाप अपने अगले खेल की तैयारी में लग गया और इधर जीत की खुशी में भाजपा कार्यालय और गीता पंडित के जश्न का माहौल है l सांसद डॉ महेश शर्मा समेत उनके समर्थक इस जीत को महान बता अपने अपने नेताओ के गुण गा रहे हैं और विपरीत परिस्थिति में भी प्रचार में लगे संगठन के कई नेता जिला अध्यक्ष बनने के सपने देखने लग गए है तो जिला अध्यक्ष ने भी संगठन के उन सभी लोगों की सूची प्रदेश संगठन को भेज दी है जिन्होंने दादरी नगर पालिका में अपनी राजनीती के लिए षड्यंत्र और विरोध के जरिए भाजपा को हराने की पूरी कोशिश की ।

आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते दशक भर से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

Related Articles

Back to top button