राजेश बैरागी । कल मई की तेरहवीं तारीख है। कल उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनावों की मतगणना होगी और शाम तक परिणाम घोषित होने की संभावना है। परिणामों को लेकर सभी दलों और प्रत्याशियों में गहरी बेचैनी है। सबसे ज्यादा बेचैनी किसे है? निस्संदेह सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के लिए ये चुनाव उसकी प्रतिष्ठा का भी चुनाव है। उसने यह चुनाव लड़ा भी पूरे मनोयोग से है। स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस चुनाव की कमान अपने हाथ में रखी और राज्य के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक अनेक सभाएं कीं।
सपा ने भी इन चुनावों को अपनी खोई हुई शक्ति के प्रदर्शन और भाजपा को उसकी औकात दिखाने के इरादे से लड़ा है। मुख्य खिलाड़ी ये दोनों ही हैं। मतगणना से निकलने वाले परिणाम इन दोनों दलों की नगरीय मतदाताओं के बीच बन रही स्थिति को ही प्रदर्शित करेंगे। यह परिणाम किसी की तेरहवीं और किसी के पुनर्जन्म का प्रमाण भी होंगे।
भाजपा के स्थानीय सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य और जिलाध्यक्षों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। बनाने को बहाने हो सकते हैं परंतु बताने को परिणाम चाहिए।जैसी चर्चा और जैसे आरोप हैं, जनपदों के प्रशासनिक अमले को भी सरकार के प्रति अपनी निष्ठा और लोकतंत्र के प्रति ईमानदारी की दो दो परीक्षाओं में पास होना है।
गौतमबुद्धनगर समेत सभी जनपदों में समाजवादी पार्टी ने प्रशासन को भाजपा के लिए मतगणना में हेरफेर करने से रोकने के लिए जोरदार तैयारी की है। यदि ऐसा होता है तो जगह जगह उपद्रव और हिंसा की घटनाएं भी देखने को मिल सकती हैं। बहरहाल कल मई की तेरह तारीख है और यह तारीख लोकतंत्र की प्रतिष्ठा के लिए भी अहम है।