राजेश बैरागी । 2014 से चुनावों में निरंतर मात खा रही समाजवादी पार्टी राजनीतिक रूप से खुद को वर्तमान में कहां खड़ा पाती है? हाल ही में नगर निकायों के चुनाव के बाद यह प्रश्न महत्वपूर्ण हो चला है क्योंकि 2024 का आम चुनाव बिल्कुल सामने है और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण समझे जाने वाले अनेक नेता या तो पार्टी छोड़ गए हैं या सरकार और सरकारी जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं।
हाल ही में सम्पन्न नगर निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के बाद यदि कोई लाभ में रहा है तो वो निर्दलीय हैं। उत्तर प्रदेश राज्य के दोनों महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों सपा और बसपा को अपेक्षा से बहुत कम सफलता मिली। राज्य के सत्रह नगर निगमों में सत्तारूढ़ भाजपा विजयी हुई और दोनों दलों में से किसी को भी एक निगम में भी सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी में निराशा का माहौल नहीं है।
पार्टी के बड़े नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी बीते सोमवार को अपने निवास पर निजी बातचीत में बताते हैं कि समूचे राज्य में पार्टी प्रत्याशियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। उनके अनुसार उनकी पार्टी के प्रत्याशी अधिकांश स्थानों पर दूसरे स्थान पर रहे हैं जो इस बात का परिचायक है कि भाजपा से मुकाबले के लिए सपा ही सबसे मजबूत पार्टी है।
हालांकि उनका मानना है कि नगर निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रत्याशियों को कई लाभ मिलते हैं परंतु चुनाव में धांधली को लेकर वे कुछ नहीं कहते। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारियां कैसी हैं? इस प्रश्न के उत्तर में राजकुमार भाटी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों के बीच गठबंधनों की प्रक्रिया चल रही है। संभावना यही है कि सपा और कांग्रेस उत्तर प्रदेश में मिलकर चुनाव लड़ें।उस स्थिति में पार्टी प्रत्याशियों का चयन होगा।
उन्होंने कहा कि रालोद के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन मजबूत है।नगर निकाय चुनावों में कुछ स्थानों पर आमने-सामने लड़ने के बावजूद दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के बीच कोई टकराव नहीं है। क्या बसपा के साथ फिर गठबंधन हो सकता है? उन्होंने कहा कि राजनीति में कोई भी स्थाई मित्र या शत्रु नहीं होता परंतु पिछले अनुभवों को देखते हुए ऐसा होना असम्भव है।
गौतमबुद्धनगर के कई बड़े नेताओं जो सपा छोड़कर भाजपा में चले गए हैं, से क्या पार्टी कमजोर हुई है और क्या वो नेता वापस आ सकते हैं? राजकुमार भाटी ने कहा कि उन नेताओं के जाने से पार्टी को कोई नुक्सान नहीं हुआ है। उनमें से कई नेता भाजपा में सहज नहीं हैं।वे वापस आना चाहते हैं परंतु पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ऐसे लोगों के प्रति जरा भी नरम नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि आने वाले लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करेगी और उत्तर प्रदेश में भाजपा को अपनी झूठ की राजनीति के लिए शर्मिन्दगी उठानी पड़ेगी।