जिसका डर नॉएडा के लोगो को था वही हुआ है l लोगो को अब आन्दोलन करने पर शान्ति भंग के नोटिस भेज दिए गए है जिसके बाद लोगो के दिल से यही निकल रहा है l बिल्डर पे करम बायर्स पे सितम, नोएडा पुलिस कमिश्नरेट ये जुल्म ना कर l
इको विलेज वन के गेट पर अपनी मांगो को लेकर धरने पर बैठे लोगो के खिलाफ बीते दिनों बिसरख पुलिस ने नोटिस भेजा है जिसमे कहा गया है कि बिना अनुमति चल रहे इस धरने से दो पक्षों में लड़ाई हो सकती है ऐसे में क्यूँ इन लोगो पर एक लाख रूपए का अर्थ दंड लगाया जाए l लेकिन इसी में पुलिस पर प्रश्न भी है कि बस एक पक्ष पर ही नोटिस क्यूँ ? बिल्डर को कोई नोटिस क्यूँ नहीं दिया गया l
नोटिस के आते ही अपनी मांगो को लेकर धरने पर बैठे लोगो का सब्र टूट गया है l लोगो ने नॉएडा पुलिस पर बिल्डर के लिए काम करने के आरोप लगाये है l नोटिस पाने वालो में से एक रंजना भारद्वाज कहती है कि निरपराध लोगो को पुलिस नोटिस भेज रही है और ताकतवर धनी लोग आनंद ले रहे है यही हमारा सिस्टम है l
एक अन्य यूजर कहते है कि विगत कुछ समय से एक ट्रेंड देखने को मिल रहा है – जहां भी आम जनता बिल्डर के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है वहां नोटिस भेजा जा रहा है?
लेकिन इनकी इसी बात से आज प्रश्न उठा रहे लोगो पर भी प्रश्न खड़ा होता है कि अब से पहले वो लोगो क्यूँ नहीं जागे ? क्या अपने लोगो पर नोटिस आने के बाद अब तक पुलिस की वाह वाह करने वाले लोग अचानक पुलिस की आलोचना कर रहे है ? क्या अपने लोगो पर कार्यवाही के बाद ही दबाब बनाने के लिए पुलिस के उपर आरोपों को कहा जा रहा है ? क्या पुलिस वाकई बिल्डर के साथ है या अचानक हो गयी है ?
लेकिन वजह चाहे जो भी हो लोकतंत्र में आम आदमी को प्रदर्शन करने का अधिकार है l इसी नॉएडा ग्रेटर नॉएडा में कितने ही किसान आन्दोलन , मजदूर आन्दोलन और सत्ता पक्ष के नेताओं के कार्यक्रम होते रहते है, क्या नॉएडा पुलिस सभी के लिए अनुमति देती है या उनको कोई नोटिस भेजती है l यदि नहीं तो शांति भंग के इन नोटिस की आड़ में क्या बिल्डर के साथ मलाई खाने के जनता के आरोप सच है l
कमिश्नरेट बन्ने के बाद से ही नॉएडा में इस तरह के मुकदमो की संख्या बढ़ रही है l पुलिस पर समस्यायों को सुलझाने की जगह आवाज़ उठाने वालो को ही रोकने के आरोप लगते रहे है l नॉएडा पुलिस के सेक्टर 113 थाने को तो बीते दिनों प्रदेश में सबसे ख़राब प्रदर्शन वाले थानों में शुमार किया गया था l 3 दिन पहले भी वही के एक पुलिस उपनिरीक्षक पर पीड़ित को ही धमकाने के आरोप लगे है जिसमे वो कमिश्रर से शिकायत करने के बाद पीड़ित को धमकाते नजर आ रहे है जिसकी शिकायत पीड़ित ने सोशल मीडिया के साथ साथ पुन: थानाध्यक्ष के साथ साथ कमिश्रर को की है l
पुन: एक बार बिसरख पुलिस की कार्यशैली पर लौटते है, जहाँ की सोसाइटी में पुलिस पर बिल्डर की जगह आम लोगो पर ही कार्यवाही करने के आरोप लग रहे है l नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने बीते दिनों चेरी काउंटी चौकी इंचार्ज को लेकर भी कई आरोप लगाये थे l आरोपों के अनुसार भाजपा के एक बड़े नेता के संरक्षण में रहे बिल्डर के पक्ष में में चौकी इनचार्ज लोगो को परेशान करते है l अभिषेक ने इस प्रकरण पर कमिश्नर से मिलने की भी बात की l हालाँकि कमिश्नर इस पर अभी तक उनको कोई आश्वासन दी है या नहीं इस पर जानकारी नहीं है
जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर भी प्रशनचिंह
लगातार आ रहे इन नोटिस पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी प्रश्नों के घेरे में है l बीते दिनों इको विलेज वन के चल रहे धरने पर आधी रात को क्षेत्रीय विधायक के पहुँचने की बात आई थी l लोगो के अनुसार विधायक ने लोगो से उनकी समस्या की जगह ये पूछना उचित समझ कि उन्होंने उनके फोटो वहां क्यूँ लगाये है वो क्यूँ उनको बदनाम कर रहे है l
वहीं लोकसभा सांसद डा महेश शर्मा और उनके प्रतिनिधि अभी तक सोसाइटी में लोगो की समस्याओ से दूरी क्यूँ बनाये हुए है ? क्या सिर्फ हेल्थ कैम्प लगाना और वोट बनवाने तक ही उनकी भूमिका सीमित है ? या फिर सबको यकीन है कि 24 में भी मोदी नाम उनकी नैया पार लगा देगा l
ऐसे में प्रश्न ये है कि क्या वाकई सरकार से लेकर पुलिस तक सब बिल्डर के साथ है ? क्या सरकारे बदलने के बाबजूद सिस्टम में कोई बदलाव नहीं हुआ है ? इन प्रश्नों के उत्तर के लिए नॉएडा पुलिस कमिश्नरेट और यूपी सरकार को शीघ्र ही सोचना होगा वर्ना कहीं साल भर बाद आने वाले चुनावों में इस क्षेत्र की जनता का विरोध उनके लिए समस्या ना बन जाए