सभी को भगवान श्री चित्रगुप्त के पुण्य पवित्र प्रकटोत्सव की अनंत अनंत मंगल मय शुभ कामनाएँ ॥
भगवान श्री चित्रगुप्त का सगुण सविशेष रूप आज ही के दिन से क्रियाँवय में आया ।परात्पर पर ब्रम्हसत्ता , न्यायब्रम्ह , ब्रम्हा विष्णु महेश तीनो की शक्तियों को प्रयोग करने वाले ऋषि , देवता , दानव , अवतारों को दंडित करने वाले यमलोम के स्वामी की साधना भक्ति गंगा सप्तमी को करे भगवान श्री चित्रगुप्त के उस दिव्याति दिव्य स्वरूप को सभी सनातनी जाने।*
श्रीचित्रगुप्त प्रगटउत्सव 27 अप्रैल 2023 वैशाख शुक्ल सप्तमी को ही क्यो ? आइए इस तिथि को शास्त्र प्रमाण से समझते हे
परात्पर पर ब्रम्हसत्ता , न्यायब्रम्ह , ब्रम्हा विष्णु महेश तीनो की शक्तियों को प्रयोग करने वाले ऋषि , देवता , दानव , अवतारों को दंडित करने वाले यमलोम के स्वामी की साधना भक्ति गंगा सप्तमी को ही करे भगवान श्री चित्रगुप्त के उस दिव्याति दिव्य स्वरूप को सभी सनातनी जाने।
आइए इस तिथि को शास्त्र प्रमाण से समझते हे
*ब्रह्माजी जी द्वारा 1000 दिव्य वर्ष की तपस्या करने के उपरांत परात्पर न्यायब्रम्ह भगवान श्री चित्रगुप्तजी प्रगट हुए ।
तदुप्रान्त गंगा सप्तमी को ही भगवान मध्यप्रदेश के अवंतिका खंड में माँ क्षिप्रा के तट पर कायथा नामक ग्राम में (जो अभी उज्जैन से 25km दूर है) धरती पर पधारे ।
इसका वर्णन आप (विष्णुपुराण ,प्रथम अंश ४१~४६ तक)मे पड़ सकते है
(प्रगट)का आशय यही है कि जो किसी उचे स्थान से नीचे की ओर आए इसी कारण वैशाख शुक्ल सप्तमी ही भगवान का प्रकटोत्सव मनाना शास्त्रीय है साथ ही साथ प्रमाण स्वरूप
उज्जैन में ही काफी *पौराणिक चित्रगुप्त मंदिर* भी हैं
जहाँ भगवान श्रीचित्रगुप्तजी प्राकट्योत्सव वैसाख सप्तमी को आदिकाल से मनाने की प्रथा जारी है
आज ही के दिन भगवान इस धरा पर अवंतिका तीर्थ (उज्जैन) के पास (कायथा नामक ग्राम में ) इस धरा पर प्रकट हुए थे ।चित्रगुप्त तत्व तो इस संसार में सदैव विद्यमान है परंतु आज के दिन भगवान कायथा पधारे इसी कारण आज का दिन विशेष है । इसका वर्णन आप (विष्णुपुराण ,प्रथम अंश ४१~४६ तक)मे पड़ सकते है
*ब्रह्माजी जी द्वारा 1000 दिव्य वर्ष की तपस्या करने के उपरांत परात्पर न्यायब्रम्ह भगवान श्री चित्रगुप्तजी प्रगट हुए । (प्रगट)का आशय यही है कि जो किसी उचे स्थान से नीचे की ओर आए इसी कारण वैशाख शुक्ल सप्तमी ही भगवान का प्रकटोत्सव मनाना शास्त्रीय है ।
महाभारत में भी भगवान श्री चित्रगुप्त के प्राकट्य गंगा सप्तमी को मिलने का एक प्रमाण ओंर मिलता हे ।
गंगापुत्र भीष्म को भी तपस्या उपरांत भगवान श्रीचित्रगुप्त जी ने प्रगट होकर इच्छामृत्यु का वरदान/आशीर्वाद दिया था तभी से प्रगटउत्सव गंगासप्तमी पर मनाने की प्रथा अनवरत जारी है ।
पद्मपुराण में भी वैशाख शुक्ल सप्तमी में भगवान श्री चित्रगुप्त जी के अवतरण का स्पष्ट उल्लेख है ।
हम सभी कायस्थ बन्धुओ को आज भगवान श्री चित्रगुप्त का पूजन अर्चन अवश्य करना चाहिए उत्सव महोत्सव करना चाहिए ॥
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इस वर्ष भी परम्परागत रूप से शास्त्रसम्मत पञ्चाङ्ग अनुसार 27 अप्रैल 2023-वैसाख शुक्लपक्ष सप्तमी को ही प्रगटउत्सव/अवतरण दिवस पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाएगा !
यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै-
वेदैः साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगाः।
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो
यस्यान्तं न विदुः सुरासुरगणा चित्राय तस्मै नमः॥
ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र और मरुद्रण जिनका दिव्य स्तोत्रोंसे स्तवन करते हैं, सामगान करनेवाले लोग अङ्ग, पद, क्रम और उपनिषदोंके सहित वेदोंसे जिनका गान करते हैं, ध्यानमग्न एवं तल्लीनचित्तसे योगी जिनका साक्षात्कार करते हैं और जिनका पार सुर और असुर कोई भी नहीं पाते, उन भगवान् श्री चित्रगुप्त को नमस्कार है
भगवान चित्रगुप्त का प्रार्थना मंत्र-
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
मंत्र- ‘ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः’ की 108 मंत्र का जाप करना लाभदायी रहता है।