ब्लू एलईडी लाइट की खोज के लिए मिला नोबेल

कम ऊर्जा में तेज सफेद रोशनी देने वाली ब्लू एलईडी (लाइट एमिटिंग डायोड) लाइट की खोज करने वाले तीन वैज्ञानिकों को इस साल के भौतिकी का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
पर्यावरण अनुकूल यह लाइट बनाने वाले इसामू अकासाकी और हिरोशी अमानो जहां जापान के हैं, वहीं शुजी नाकामुरा अमेरिकी नागरिक हैं। हालांकि तीनों का जन्म जापान में ही हुआ था।
नोबेल पुरस्कार देने वाली संस्था रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंस ने इनके आविष्कार को 21वीं सदी की महान खोज करार दिया। अकादमी ने कहा, जिस तरह 20वीं सदी में बल्ब रोशनी का सबसे बड़ा स्रोत था, उसी तरह एलईडी लाइट 21वीं सदी में रोशनी का सबसे बड़ा जरिया होगी।
अकादमी ने कहा कि रोशनी का यह स्रोत पुराने स्रोत के मुकाबले ज्यादा चमकदार, स्वच्छ और टिकाऊ है।� यह ऊर्जा बचाने के साथ लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेगा। इन तीनों को इसी साल 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में 11 लाख अमेरिकी डॉलर का यह पुरस्कार दिया जाएगा।85 वर्षीय अकासाकी मेइजो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। इसके अलावा वह नगोया यूनिवर्सिटी के भी प्रतिष्ठित प्रोफेसर हैं। 54 वर्षीय अमानो भी नगोया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, जबकि 60 वर्षीय नाकामुरा कैलिफोर्निया और सैंटा बारबरा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। इसलिए खास है यह खोज इन तीनों द्वारा ब्लू एलईडी की खोज एक क्रांतिकारी आविष्कार है।
नोबेल अकादमी के मुताबिक, तीनों वैज्ञानिकों ने 1990 के दशक में सेमी कंडक्टर के जरिए तेज नीला प्रकाश पैदा कर प्रकाश तकनीक में बड़ा बदलाव किया। इस दिशा में दूसरे वैज्ञानिक दशकों तक संघर्ष करते रहे। इससे पहले कुछ लोगों ने हरी और लाल एलईडी का आविष्कार किया था, लेकिन नीली एलईडी के बिना सफेद प्रकाश पैदा नहीं किया जा सकता था। इसलिए इनकी खोज काफी खास है।
संसाधन बचाती है एलईडी
दुनिया भर की बिजली खपत के करीब एक चौथाई हिस्से का इस्तेमाल प्रकाश संबंधी उद्देश्यों के लिए किया जाता है। एलईडी तेज रोशनी के साथ कम बिजली की खपत से धरती के संसाधन बचाने में योगदान देती है।