नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हाई राइज सोसाइटी और दुकानों में चल रहे मालिकाना हक और के विवादों में फिलहाल एक फैसला सोसाइटी हुए के पक्ष में आया है 3 मार्च को मेरठ में डिप्टी रजिस्ट्रार अरविंद कुमार सिंह ने महागुन मॉडर्न सोसाइटी की शॉप ओनर एसोसिएशन के पंजीकरण को निरस्त करते हुए कहां की यह एसोसिएशन पंजीकरण कार्यालय को धोखे में रखकर प्राप्त किया गया था और इसके कार्य के लाभ समिति के उद्देश्यों को का विरोध करने वाले या लोक नीति के विरुद्ध रहे हैं ।
फैसले में रजिस्ट्रार ने कहा कि पंजीकरण में कार्यकारिणी द्वारा यह तथ्य छुपाया गया तीन की दुकानें महागुन मॉडर्न नामक अपार्टमेंट समूह में आवास में सुविधाजनक हैं जिनका साझा क्षेत्र समूह आवास में पड़ता है इन दुकानों की अलग से कोई पहचान नक्शा जमीन प्राधिकरण से संतुष्ट नहीं है अपितु महागुन मॉडर्न आवासीय योजना का हिस्सा है जिसके बाद एक बार फिर से सोसाइटी में बनी दुकानों का स्वामित्व किसके पास होगा की बाहर तेज हो गई है ।
सोसाइटी में रेसिडेंशियल प्लाट पर बनी दुकानें पर क्या कहते है जानकार
नोएडा में हाई राइज सोसायटी ओं में बनी दुकानों के स्वामित्व को लेकर लगातार लोगों में मतभेद है जिन लोगों ने दुकानें बिल्डर से महंगे दामों पर खरीदी हैं उनका कहना है वह दुकानें उनकी हैं उनको सोसाइटी में हिस्सेदारी चाहिए जबकि सोसाइटी रेजिडेंट फॉरएवर के साथ यूपी अपार्टमेंट एक्ट के जानकार बताते हैं कि बिल्डर कॉमन एरिया में बनी हुई किसी भी एक्टिविटी को बेच नहीं सकते हैं यूपी अपार्टमेंट एक्ट के अनुसार किसी भी बिल्डर को आबादी के लिए कम से कम 2 पक्की दुकानें और चार किओस्क बनाने अनिवार्य हैं जो AOA के बनने के बाद AOA की संपत्ति होगी और वे उन्हें किराए पर या लीज पर दे कर लोगों के लिए कन्वीनियंस शॉप की सुविधा दे सकता है ऐसे में नोएडा में और ग्रेटर नोएडा में हाइ राइज सोसाइटी में बनी दुकानों के तरीकों पर लगातार सवाल उठते रहे हैं और इस मामले पर अब पहली बार रजिस्ट्रार ने सोसाइटी में बनी दुकानों की एसोसिएशन के पंजीकरण को निरस्त करके इस मामले को नई दिशा दे दिए है एनसीआर खबर ने महागुण शॉप एसोसिएशन के अध्यक्ष को फोन करने की कोशिश करी हालांकि उनका फोन से संपर्क नहीं हो पाया इस मामले पर अगर एसोसिएशन की तरफ से कोई जानकारी दी जाएगी तो जल्दी उसको भी प्रकाशित किया जाएगा