पहले चरण के चुनाव के लिए जैसे-जैसे नॉमिनेशन होते जा रहे हैं वैसे वैसे चुनाव की तस्वीर साफ होती जा रही है अभी तक हुए नॉमिनेशन के आधार पर गौतम बुध नगर जिले में नोएडा सीट परंपरागत तौर पर भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रही है तो पिछली बार जीते दादरी और जेवर सीट पर भाजपा के लिए गुर्जर अस्मिता की लड़ाई परेशानी बन रही है भाजपा समर्थित गुर्जर नेता भी इस मामले पर बैक फुट पर आ जा रहे है और समाज के सामने कुछ कहने से बच रहे है हालांकि मीडिया से बातों में भाजपा के नेता इन दोनो सीटो पर रिकॉर्ड वोटों से जीतने की बातें कह रहे हैं
सम्राट मिहिर भोज जाति प्रकरण को भुना रहे विपक्षी गुर्जर नेता
कुछ महीने पहले सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर बना विवाद दादरी और जेवर सीट पर विपक्षी गुर्जर प्रत्याशियों के लिए मौका बन गया है दादरी सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार भाटी इस मुद्दे को लेकर लगातार आक्रामक रहे हैं और चुनाव में भी उनके पास गुर्जर अस्मिता किसानों के मुद्दे और स्थानीय युवकों के रोजगार के ही मामलों को आगे कर रहे हैं भाजपा विधायक के प्रति गुर्जर समाज में बनाए रख कर इस बार जीत का स्वाद चखना चाह रहे है । समाजवादी पार्टी पहली बार इस सीट पर अपनी जीत की संभावनाएं देख रही है । हालांकि दादरी विधानसभा का पुराना रिकॉर्ड कभी भी समाजवादी पार्टी के पक्ष में नहीं रहा है 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से राजकुमार भाटी ही चुनाव लड़े थे और लगभग 12% वोटों के साथ 23191 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे वहीं कांग्रेस 18 परसेंट फोटो के साथ तीसरे स्थान पर थी और यहां बसपा ने जीत हासिल की थी 2017 के चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी के प्रत्याशी को 53 परसेंट वोट के साथ जीत मिली थी जबकि सपा कॉन्ग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार को महज 16 परसेंट वोट ही मिले थे इस बार बहुजन समाज पार्टी की स्थिति को कमजोर माना जा रहा है इसलिए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार भाटी अपनी संभावनाओं को देख रहे हैं
दादरी सीट पर शहरी वोटो में निर्दलीय प्रत्याशी अन्नू खान बने भाजपा के समस्या
वही दादरी सीट पर शहरी वोटों में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़े हुए अनु खान बीजेपी के लिए समस्या बन रहे हैं शहर की कई सोसायटी ओं में फ्लैट बायर्स के समस्याओं के हल ना होने पर लगातार भाजपा कार्यकर्ताओं का विरोध हो रहा है सोसायटी ओं में बनी भाजपा की कमेटियां खुले तौर पर लोगों को समझा नहीं पा रही हैं हालांकि भाजपा के पास एक ही प्लस पॉइंट है कि शहरी वोटर परंपरागत तौर पर भाजपा का वोट बैंक है लेकिन जिस तरीके से zz5 सोसाइटी में नॉरकेम रोबोट के बैनर पोस्टर मीडिया में आए उसके बाद से भाजपा के रणनीतिकारों ने इसके लिए भी काम करना शुरू कर दिया है अब आने वाले 15 दिनों में कौन सी पार्टी इस पर ज्यादा मेहनत कर पाएगी यह देखने वाली बात रहेगी
जेवर सीट पर भड़ाना भी गुर्जर और किसानों के नाम पर देख रहे जीत का सपना
वहीं जेवर विधानसभा में भी अभी तक समाजवादी पार्टी के लिए खाता न खुलने वाली स्थिति ही है इस सीट पर भाजपा और बसपा में लगातार संघर्ष होता रहा है 2012 के चुनाव में बसपा के वेदराम भाटी ने 37 परसेंट वोट शेयर के साथ 67000 वोट पाए थे जबकि कांग्रेस के धीरेंद्र सिंह उस समय 32% वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे लेकिन 2017 में मोदी लहर में धीरेंद्र सिंह 49% वोट शेयर के साथ एक लाख वोट लेकर वेदराम भाटी को हराकर यह सीट बीजेपी की झोली में डाले थे ऐसे में इस बार अवतार सिंह भड़ाना समाजवादी पार्टी और आरएलडी गठबंधन के उम्मीदवार हैं यहां भी समाजवादी पार्टी का मुख्य जोर गुर्जर अस्मिता और किसानों के साथ सहानुभूति ही है भड़ाना को लेकर विरोधियों के दावे हैं कि वह कभी भी उस सीट से दोबारा नहीं लड़ते इसलिए उनको यहां पर गंभीरता से नहीं लिया जाएगा लेकिन फिर भी जेवर सीट पर गुर्जर अस्मिता के नाम पर भड़ाना अपना दांव चल रहे हैं हालांकि गुर्जर समुदाय के बड़े नेता नरेंद्र भाटी का स्पष्ट कहना है कि गुर्जर समुदाय से बड़ा वोट भारतीय जनता पार्टी को ही जाएगा