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किसान दिवस पर किसानों की धरती पर बसे नोएडा में किसान आंदोलन रत : नवीन दुबे

आज किसान आंदोलन के प्रणेता रहे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जयंती है और इस देश मे सर्वाधिक शोषण ,दमन, अगर किसी के साथ हुआ है ,हो रहा है तो वह किसानों के साथ ही हो रहा है ।


नोएडा, ग्रे नोएडा में किसान आंदोलनरत हैं सरकार खामोश है अधिकारी सुन सकते हैं तो फैसले नहीं ले सकते हैं क्योंकि फैसले तो योगी सरकार में ऊपर से आते हैं दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि देश मे ऐतिहासिक किसान आंदोलन अब तक का एक बड़ा आंदोलन रहा और मोदी सरकार का हाल रहा नौ दिन चले अढ़ाई कोस किसान कानून वापस लेने पड़े ,किसानों पर अत्याचार की पराकाष्ठा हो गयी सड़कों पर बोल्डर, कीलें ठोकी गयीं किसानों के रास्ते बाधित किये गए , गृह राज्य मंत्री अजय टेनी के सपूत ने सत्ता मद में किसानों पर थार चढ़ा कर किसानों की हत्या की यह दौर भी ब्रिटिश हुकूमत के काले काल से कम काला नहीं रहा ।


देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के सवालों से भागते रहे तमाम किसानों की जीवन लीला समाप्त हो गई मगर प्रधानमंत्री अपने फोटो सेशन में ही व्यस्त रहे ।
जब तक देश का किसान खुशहाल नहीं होता तब तक तरक्की के कोई मायने नहीं रह जाते क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां अन्नदाता का अनादर किसी अभिशाप से कम नहीं है ।


इतिहास लिखा जाता है और ये सरकारों तथा सरकारों के प्रमुखों पर निर्भर करता है कि इतिहास उनके नाम को स्वर्णाक्षरों में दर्ज करता है या काले अक्षरों में दर्ज करेगा ? वर्तमान सरकार ने देश की जनता को छद्म हिंदुत्व, फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद, मंदिर,मस्जिद, हिन्दू-मुस्लिम, सवर्ण-दलित की आग में झोंकने का काम किया है जो नफ़रतें बोई गई हैं उनको खत्म करने में पीढियां तमाम हो जाएंगी

जिस भारत देश के आज़ादी के आंदोलन में सभी धर्म, सम्प्रदाय, जातियों के लोगों ने मिलकर हिस्सा लिया था आज वही सब अलग अलग हिस्सों में बांटे जा रहे हैं भारत माता के आवरण को छिन्न भिन्न किया जा रहा है लेकिन सत्ता में बैठे लोग मदारी का खेल खेल रहे हैं और कुछ लोग तालियां बजा रहे हैं


इसी देश ने भूखे पैदल चलते मजदूर और दम तोड़ते मजदूर भी देखे , गंगा तटों पर अनगिनत लाशों के अंबार भी देखे ,अपनो का असमय जाना देखा , बेरोजगारी और बूढ़े माता पिता के टूटते सपनो को देख रहा है देश साथ ही देश के प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी का परिधान शौक और किसी फिल्मी अदाकार जैसे चाल चलन को भी देख रहा है ,अपराधियों को सरकारी संरक्षण भी देख रहा है ।


संसद चले न चले लेकिन संरक्षित अपराधी और अपराध को संरक्षण देने बाला मंत्री बचा रहना चाहिए ऐसे अवसरों पर नैतिकता आखिर क्यों मदारी के झोले में बंद हो जाती है?

देश बदलाव मांग रहा है पूर्व में भी सरकारें रही हैं आज भी सरकार है अभाव यदि है तो वह है नैतिकता का समाज की नैतिकता जब दम तोड़ती है तो विद्रोह होता है और सरकारों की नैतिकता जब दम तोड़ती है तो राष्ट्र का बड़ा नुकसान होता है जो कि वर्तमान में हो रहा है ।


राष्ट्र को बचाने और बढ़ाने का दायित्व सरकार का होता है और मोदी सरकार इसमे असफल रही है । देश की अवाम को भी आत्मचिंतन की जरूरत है और खुद सोचना समझना होगा कि राष्ट्र के लिए एकता , रोजगार, महंगाई पर अंकुश, हर हाथ को काम आवश्यक है या धार्मिक उन्माद

नवीन दुबे,एडवोकेट

लेख में दिए विचारो से एनसीआर खबर का सहमत होना आवश्यक नही है

NCRKhabar Mobile Desk

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