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बच्चो का कोना : पेंसिल पर HB, 2B, 2H, 9H जैसे कोड तो इनका मतलब क्या होता है

अक्सर बच्चे हो बड़े बाजार पेंसिल खरीदते समय अक्‍सर आप दुकानदार से कहते होंगे कि HB या 2B वाली पेंसिल चाहिए. कभी सोचा है कि ऐसा क्‍यों करते थे। पेंसिल में HB, 2B 2H, 9H जैसे कोड के मुताबिक, इसकी खू‍बी बदल जाती है।


इसका सीधा असर लिखावट, स्‍केचिंग पर पड़ता है। लेकिन इसके बेहतर रिजल्‍ट के लिए कोड को समझना जरूरी है। एनसीआर खबर पर आज हम जानेंगे कि इन कोड का पेंसिल की खूबी से क्‍या मतलब होता है।


अगर पेंसिल के लास्‍ट में HB लिखा है तो H का मतलब है हार्ड B का मतलब है ब्‍लैक। यानी HB वाली पेंसिल सामान्‍य डार्क रंग वाली होती है। इसी तरह पेंसिल पर HH लिखा है तो यह बताता है कि यह और अध‍िक हार्ड है. इसी तरह 2B, 4B, 6B और 8B वाली पेंसिल ज्‍यादा डार्क होती हैं।
पेंसिल में ब्‍लैक रंग में दिखने वाली ग्रेफाइट ही तय करती है कि इसकी कोडिंग कैसी होगी. यह जितनी गहरी काली होगी इसकी ब्‍लैकनेस बढ़ती जाएगी। इसे 2B, 4B, 6B और 8B से दिखाया जाता है। यानी 2B के मुकाबले 8B ज्‍यादा गहरी काली होगी।


ऑफिस हो या स्‍कूल, आमतौर पर HB पेंसिल का ही इस्‍तेमाल करने की सलाह दी जाती है क्‍योंकि इसके अंदर मौजूद ग्रेफाइट न तो ज्‍यादा हार्ड होता है और न ही सॉफ्ट। इसलिए HB वाली पेंसिल एक औसत रंग छोड़ती है। इसे सबसे बेहतर माना जाता है।


अलग-अलग कोड वाली पेंसिल का इस्‍तेमाल क्‍यों किया जाता है। इसे स्‍केचिंग के उदाहरण से समझ सकते हैं। स्‍केचिंग के दौरान चेहरे को हल्‍का शेड देने के लिए 2B वाली पेंसिल का इस्‍तेमाल किया जाता है। वहीं, बालों को आकार और रंग देने के लिए 8B वाली पेंसिल का इस्‍तेमाल करते हैं।

पेंसिल की कहानी

पुराने जमाने में छोटे-छोटे ब्रश को मामूली स्याही में डुबोकर लिखा करते थे रोमन लोग अपने लिखने की ब्रश को पेंसिल्स कहते थे इसी से पेन्सिल शब्द बना है कलहंस के कलम से लिखने का चलन यूरोप में छठीं शताब्दी से हो गया था इसके बाद पुरे सौ वर्ष गुजर गए सोलवी शताब्दी के मध्यकाल में एक घटना घटी। कम्बरलैंड, इंग्लैंड में बोरोडेल के पास तूफान मे एक बड़ा वृक्ष जड़ से उखड़ गया उसकी जड़ो के नीचे काला – काला खनिज पर्दाथ दिखाई देने लगा वहा काले शीशे के भंडार जैसा था वह शुद्ध कोटि का ग्रेनाइट था इतना उत्तम ग्रेनाइट इंग्लैंड में उससे पहले कहि भी पाया नहीं गया था।

स्थीनिय चरगाहे उसका उपयोग अपनी भेड़ो पर निशान बनाने के लिए करने लगे। जल्द ही कुछ शहरियो ने यह रहस्य जान लिया, वे उसकी छोटी छोटी सलाखे काटकर लंदन के बाजारों में दुकानदारों और व्यापारियों बक्सों व् टोकरियों पर निशान लगाने वाली मार्केटिंग स्टोन के नाम से बचने लगे। इसके बाद 18 वी शताब्दी के किंग जॉर्ज दितीर्य ने बोरॉडेल की खान को अपने अधिकार में ले लिया और इस पर किंग एक अधिकार हो गया। 

आधुनिक पेंसिल का निर्माण करीब ४० विभिन्न पर्दार्थो से होता है सर्वश्रेठ  ग्रेनाइट श्रीलंका, मैडागास्क में पाया जाता है पेन्सिल के खोल की अदिकांश लकड़ी कैलिफोर्निया के दो सो वर्ष पुराने सुगंधित देवदारों से मिलती है इनका रेशा सीधा होता है रंग अधिकतर पीला या बादामी होता है नरम होने के कारण इस लकड़ी की कटाई – चिराई आसानी से हो जाती है। देवदार के लट्ठों को चौकोर टुकड़ा काटकर सुखा लिया जाता है इसके बाद इन्हे 5 मिलीमीटर मोठे, 70 मिलीमीटर छोड़े और 185 मिलीमीटर लम्बे हिस्सों में काटा जाता है इन टुकड़ो को रंग कर मोम चढ़ाने के बाद पेंसिल निर्माताओं के पास भेज दिया जाता है अब इतना ही काम बाकि रह जाता है की खाचे बना कर उनमे ग्रेनाइट की छडे रखकर चिपकाने के बाद अलग – अलग पैंसिलो के रूप में काट कर दिया जाये।

संजय कुमार श्रीवास्तव

लेखक के दिए विचारो से एनसीआर खबर का सहमत होना आवश्यक नही है

NCRKhabar Mobile Desk

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