बैरागी की नेकदृष्टि : यहां (ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण) कोई दलाल मिल सकता है क्या ?

राजेश बैरागीl दिल्ली से आए उस युवक की चाल थकी थकी सी थी। उसने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की किसी आवासीय भूखण्ड योजना में आवेदन किया था।उसे सफलता प्राप्त हुई।वह आवंटन पत्र की प्रतीक्षा में अपने घर बैठा रहा। डाकिया से पूछ पूछ कर हार गया परंतु उसके भूखंड का आवंटन पत्र नहीं आया।उसका डाक विभाग पर से विश्वास उठ गया।अंततः उसने प्राधिकरण जाने का निश्चय किया।वह प्राधिकरण पहुंचा तो उसे बताया गया कि पता सही नहीं होने पर आवंटन पत्र वापस लौट आया है और समय पर आवंटन धनराशि जमा न करने पर उसे लगभग सोलह हजार रुपए अर्थदंड भरना पड़ेगा। उसने आवंटन पत्र हाथ में लेकर पढ़ा। उसपर आवेदन में उल्लिखित पता नहीं लिखा था। उसपर गलत पता अंकित कर दिया गया था जिस कारण आवंटन पत्र वापस लौट आया था। उसने संबंधित लिपिक का ध्यान इस ओर दिलाया तो वास्तव में गलती आवंटी की नहीं बल्कि पत्र तैयार करने वाले लिपिक की थी।

परंतु जैसा कि होता है, गलती किसी की हो पिटता तो रामलाल ही है। लिपिक ने उस युवक को स्पष्ट बता दिया कि आवंटन धनराशि देर से जमा करने का अर्थदंड तो भुगतना ही पड़ेगा। युवक ने अनुनय-विनय की होगी, सिद्धांत की बात भी की ही होगी परन्तु प्राधिकरण का सम्पत्ति विभाग अपनी बात से टस से मस नहीं हुआ।वह इस सोमवार संभवतः तीसरी या चौथी बार आया था। उसके पैरों में चलने का उत्साह नहीं दिखाई दे रहा था।वह बता रहा था कि विभागीय कर्मचारी उसे टरका देते हैं।जिस दिन यहां आता है उस दिन उसे अपने काम से छुट्टी लेनी पड़ती है। उसने यकायक पूछा,-यहां कोई दलाल मिल सकता है?