मां के विभिन्न रूप एक ही है, प्रखर अग्रवाल

हमारे लिए भगवती लक्ष्मी और भगवती कात्यायनी एक ही तत्व हैं। जो भगवती लक्ष्मी हैं, जो भगवती सीता हैं, जो भगवती रुक्मिणी हैं वही भगवती पार्वती हैं – जो की आदिपराशक्ति हैं और जो सर्वोच्च हैं।
वेदों में महालक्ष्मी को ही श्री कहा गया है। वैष्णव सम्प्रदाय में देवी भगवती लक्ष्मी ही भगवान नारायण की पराशक्ति महामाया हैं। ये बात आश्चर्यजनक ही है की भगवती ललिता त्रिपुरसुन्दरी का जो यंत्र है उसे भी “श्रीयंत्र” ही कहते हैं और शाक्त सम्प्रदाय में जिसकी साधना को श्रीविद्या कहा जाता है। शाक्त सम्प्रदाय में देवी भगवती कात्यायनी को ही योगमाया और महामाया माना जाता है जो भगवान विष्णु की आदि शक्ति हैं।

देवी दुर्गा को कई शाक्त ग्रंथो में वैष्णवी, नारायणी और महामाया भी कहा गया है। यहाँ तक की श्री दुर्गासप्ती शती की शुरुवात ही भगवती के महामाया स्वरूप से होती है। जब भगवती ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर भगवान विष्णु के अंदर से प्रकट होती हैं और देवी की ही प्रेरणा से भगवान ने मधु और कैटभ नामक दैत्यों का वध किया और मधुसूदन कहलाय।
हम वैष्णवों के लिए जो भगवती महालक्ष्मी हैं वहीं कात्यानानी, ललिता त्रिपुरसुन्दरी और भुवनेश्वरी हैं।
● एक अपने हाथों में कमल धारण किये हुईं हैं, और जो वैकुंठ और पराव्योम की स्वामिनी हैं और दूसरी अपने हाथों में त्रिशूल धारण करती हैं और जो कैलाश की साम्राज्ञी हैं।
● एक हिरण्यवर्णा हैं, जो संसार की समस्त निधियों, ऐश्वर्यों और सिद्धियों की अधिष्ठात्री देवी हैं और दूसरी रक्तवर्णा हैं जो गणेश और कार्तिकेय की माता हैं।
● एक उपासना वेद श्रीसूक्त गाकर करते हैं दूसरी की उपासना देवी सूक्त गाकर करते हैं।
● एक की उपासना आदिगुरु शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र गाकर करी दूसरी की महिससुरमर्दिनी स्तोत्र गाकर करी।
● एक भगवान नारायण की पत्नी हैं और विष्णु वक्षस्थलस्थिता हैं और दूसरी भगवान सदाशिव की पत्नी हैं और भगवान नारायण की बहन हैं।
भगवती सीता और भगवती रुक्मिणी को भी श्रीराम और श्रीकृष्ण भगवती महागौरी की उपासना से प्राप्त हुए थे.. इसलिए इस नवरात्रि अपने हर तरह के सम्प्रदाय भेद भुलाकर देवी भगवती जगदम्बा की उपासना करें..
- प्रखर अग्रवाल
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