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देवी माँ की साधना का काल शारदीय नवरात्र पर ज्योतिर्विद रविशराय गौड़ से जानिये नवरात्री का आपकी राशियों पर असर

17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक देवी पूजा, 58 साल बाद शनि-गुरु अपनी राशियों में रहेंगे और नवरात्रि मनाई जाएगी

शनि मकर राशि में और गुरु धनु राशि में, 17 अक्टूबर को सूर्य का तुला राशि में होगा प्रवेश, बनेगा बुध-आदित्य योग

कलश स्था‍पना की तिथि और शुभ मुहूर्त
कलश स्था‍पना की तिथि: 17 अक्टूबर 2020
कलश स्था‍पना का शुभ मुहूर्त: 17 अक्टूबर 2020 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक।
कुल अवधि: 03 घंटे 49 मिनट

17 अक्टूबर से देवी पूजा का नौ दिवसीय पर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है। ये पर्व 25 अक्टूबर तक रहेगा। इस बार नवरात्रि की शुरुआत में 17 तारीख को ही सूर्य का राशि परिवर्तन भी होगा। सुर्य तुला में प्रवेश करेगा। तुला राशि में पहले से वक्री बुध भी रहेगा। इस कारण बुध-आदित्य योग बनेगा। इसके साथ ही 58 साल बाद शनि-गुरु का भी दुर्लभ योग बन रहा है।

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इस नवरात्रि में शनि मकर में और गुरु धनु राशि में रहेगा। ये दोनों ग्रह 58 साल बाद नवरात्रि में एक साथ अपनी-अपनी राशि में स्थित रहेंगे। 2020 से पहले 1962 में ये योग बना था। उस समय 29 सितंबर से नवरात्रि शुरू हुई थी।

इस बार पूरे नौ दिनों की रहेगी नवरात्रि

इस साल नवरात्रि पूरे नौ दिनों की रहेगी। इसी दिन सूर्य तुला राशि में प्रवेश करके नीच का हो जाएगा। 17 तारीख को बुध और चंद्र भी तुला राशि में रहेंगे। चंद्र 18 तारीख को वृश्चिक में प्रवेश करेगा। लेकिन सूर्य-बुध का बुधादित्य योग पूरी नवरात्रि में रहेगा।

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इसमें देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की बहुत हीं भव्य तरीके से पूजा की जाती है।

नवरात्रि में घोड़े पर सवार होकर आएंगी देवी

शनिवार से नवरात्रि शुरू होने से इस बार देवी का वाहन घोड़ा रहेगा। नवरात्रि जिस वार से शुरू होती है, उसके अनुसार देवी का वाहन बताया गया है। अगर नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू होती है तो देवी का वाहन हाथी रहता है। शनिवार और मंगलवार से नवरात्रि शुरू होती है तो वाहन घोड़ा रहता है। गुरुवार और शुक्रवार से नवरात्रि शुरू होने पर देवी डोली में सवार होकर आती हैं। बुधवार से नवरात्रि शुरू होती है तो देवी का वाहन नाव रहता है।

वासंतिक नवरात्र शुरू हो रहा है। इस नवरात्र का धर्म शास्त्रों के अनुसार बड़ा महत्त्व है। मान्यता है कि हमारे ऋषि मुनियों ने सामाजिक, आध्यात्मिक, आर्थिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी व्यवस्थाओं को चलाने के वेद, शास्त्र, उपनिषद और पुराणों की रचना की है। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को हमारे त्यौहारों के साथ जोड़ दिया गया है।नवरात्रि की रचना भी इसी के अनुसार धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से की गई है।

नवरात्रि का पर्व साल में चार बार आता है। चैत्र और अश्विन मॉस में जो नवरात्र आता है, उसे तो सब जानते हैं, लेकिन दो अन्य नवरात्र भी हैं जो गुप्त हैं। ये दो गुप्त नवरात्र अषाढ़ और माघ मास में पड़ते हैं। चैत्र और अश्विन मास के नवरात्र को विशेष रूप से मनाया जाता है। इन महीनों में ऋतुएं बदलती हैं और जब ऋतु परिवर्तन होता है तो इसका सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। यह परिवर्तन श्रृष्टि के सभी जीवित प्राणियों और वनस्पतियों पर भी होता है। मनुष्यों में इस परिवर्तन का प्रभाव बात, पित्त, कफ़ आदि के रूप में होता है। इन्हीं बीमारियों से बचने के लिए नवरात्र में नौ दिन के पूजा पाठ, संयम और उपवास का विधान किया गया है।

मां दुर्गा को सभी शास्त्रों में शक्ति के रूप में माना गया है। उनसे जीवन रूपी शक्ति प्राप्त करने के लिए ऐसा विधान किया गया है। वे बताते हैं कि वेद, शास्त्र, रामायण और महाभारत आदि ग्रंथों में इस बात का स्पष्ट प्रमाण कि जब भी देवता अथवा मनुष्यों को शक्ति आवश्यकता पड़ी तो उन्होंने मां दुर्गा की पूजा आराधना कर, उनसे शक्ति प्राप्त की है। ऋतु परिवर्तन के कारण ही इसका नाम नवरात्र रखा गया है। मां दुर्गा के मुख्य नव स्वरूप हैं।

वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है। त्योहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है। यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं। पराम्बा भगवती के समस्त स्वरूपो में आनंद प्रदायिनी शक्ति भक्तो को अभीष्ट सिध्द करदेती हैं।

मनुष्य की उत्पत्ति भी पांच महाभूतों और चार अंतःकरण से मिलकर हुई है। मौसम के परिवर्तन के समय इन तत्वों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उस प्रभाव को दूर करने के लिए ही कम से कम दोनों ऋतुओं के बदलने के समय नौ-नौ दिन रखे गए हैं। साधकों द्वारा इन तत्वों को ही मां दुर्गा का स्वरूप माना गया है। शक्ति की नारी रूप में उपासना तंत्र शास्त्र के अनुसार नव दुर्गा इस महाशक्ति के नौ रूप हैं और नौ नाम हैं जो इस प्रकार हैं:- शैल पुत्री, ब्रम्ह्चारिणी, चंद्र घंटा, कूष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, महागौरी और सिंह दात्री। ये नौ दुर्गा शक्ति रूपा हैं, जिनकी उपासना की जाती है।

वासंतिक नवरात्रि पर यथा शक्ति नौमाला जाप करना चाहिए। अलग-अलग दिन विभिन्न सामग्री से हवन करना लाभप्रद होता है। परिवार में रोग, शोक की निवृति तथा हर प्रकार के कार्य सिद्ध होते हैं। ऐसा करने से मां आदि शक्ति भगवती अपने भक्तों का कल्याण करती हैं।

 मां दुर्गा इस बार अपने भक्तों की कष्ट को हरने के लिए आ रही है. कोरोना काल में अपने भक्तों को मां दुर्गा रक्षा करेंगी और देश में तेजी से फैल रहे इस वायरस को खत्म करेंगी. चार खतरनाक बड़े ग्रहों के मार्गी होने से इस बार नवरात्र में घटस्थापना के साथ ही कोरोना महामारी की रफ्तार थमने लगेगी. माता की घटस्थापना सर्वार्थ सिद्घि योग में हो रही है.

लंबे समय से उल्टी चाल चल रहे बड़े ग्रहों के कारण कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में दहशत फैला रखी है. अब चार खतरनाक ग्रहों ने अपनी चाल बदल दी है. जिसके कारण अब कोरोना महामारी से मां के भक्तों को राहत मिलेगी. 23 सितंबर को मिथुन राशि में चल रहे राहु ने राशि परिवर्तन कर अब वह उच्च राशि वृषभ में प्रवेश कर चुके हैं.

वहीं केतु धनु राशि परिवर्तित कर अपनी उच्च राशि वृश्चिक में आ गये है. गुरु ने 12 सितंबर को अपनी वक्री चाल छोड़ कर अब वे मार्गी चल रहे हैं. शनि ने भी अपनी उल्टी चाल छोड़ कर अब वे सीधी चाल चल रहे हैं. ग्रहों के स्थिति बदलने से इस साल नवरात्रि में कई शुभ योग बन रहे हैं, जो कि कोरोना महामारी की रफ्तार को थामने में मददगार साबित होंगे.

17 अक्टूबर को माता की घटस्थापना के समय सर्वार्थ सिद्घि योग रहेगा. इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्घि योग 19 अक्टूबर, 23 व 24 अक्टूबर को भी रहेगा. इसके बाद 18 व 24 अक्टूबर को रवि सिद्घि महायोग भी रहेगा. 19 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्घि योग के साथ द्विपुष्कर योग एवं 20 को सौभाग्य योग एवं 21 को ललिता पंचमी, बुधवार को सोभन योग का दुर्लभ संयोग रहेगा.

इस बार पूरे नौ दिनों की होगी नवरात्रि

इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिनों की रहेगी. इसी दिन सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेंगे. 17 तारीख को बुध और चंद्र भी तुला राशि में रहेंगे. चंद्र 18 तारीख को वृश्चिक में प्रवेश करेंगे, लेकिन सूर्य-बुध का बुधादित्य योग पूरी नवरात्रि में रहेगा.

आइए जानते है कि इस बार ये ग्रह नवरात्रि के दौरान किन राशियों पर कैसा प्रभाव डालेंगे.

  • मेष- इस राशि के लिए विवाह के योग बन सकते हैं. प्रेम में सफलता मिल सकती है. नवरात्रि में नौ दिनों तक मां की आराधना जरूर करें.
  • वृष – इन लोगों को को शत्रुओं पर विजय मिलेगी. रोगों में लाभ होगा. नवरात्रि में मां की उपासना करें
  • मिथुन – संतान सुख मिलने के योग हैं. नौकरी में प्रमोशन और धन लाभ मिल सकता है. इस बार आप नवरात्रि व्रत रखें
  • कर्क – माता से सुख मिलेगा. वैभव बढ़ेगा. कार्यों में सफलता के साथ सम्मान मिलेगा. दुर्गा माता की पूजा करें
  • सिंह – आपका पराक्रम अच्छा रहेगा. आशा के अनुरूप फल प्राप्त होंगे. भाई से मदद मिलेगी. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा करें.
  • कन्या – स्थाई संपत्ति से लाभ हो सकता है. धन वृद्धि के योग बन रहे हैं. दुर्गा माता की पूजा करें.
  • तुला – इस राशि के लिए प्रसन्नता बनी रहेगी. सोचे हुए काम समय पर पूरे होंगे. नवरात्रि में व्रत रखें और पूजा करें.
  • वृश्चिक – अनावश्यक व्यय होगा. कमाई कम हो सकती है. घर-परिवार से संबंधित चिंताजनक समाचार मिल सकता है.
  • धनु – आपके लिए ये नवरात्रि लाभदायक रह सकती है. आय में बढ़ोतरी होने के योग हैं.
  • मकर – इन लोगों अनावश्यक काम करना पड़े सकते हैं. समय अभाव रहेगा. मानसिक तनाव बना रहेगा.
  • कुंभ – इस राशि के लिए भाग्य वृद्धि का समय है. साथियों की मदद प्राप्त होगी. काम पूरे होंगे.
  • मीन – आपको वाहन प्रयोग में सावधानी रखनी होगी. दुर्घटना होने के योग बन रहे हैं. शत्रुओं की वजह से परेशानी हो सकती है.

नवरात्रि में नो दिवस लगाए यह भोग और पाए माँ का आशीर्वाद

  • नवरात्रि के पहले दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।
  • नवरात्रि के दूसरे दिन मां को शक्कर का भोग लगाकर घर के सभी सदस्यों में बांटें। इससे आयु में वृद्धि होती है।
  • नवरात्रि के तीसरे दिन दूध या खीर का भोग लगाकर ब्राह्मणों को दान करने से दुखों से मुक्ति मिलती है। इससे परम आनंद की प्राप्ति होती है।
  • नवरात्रि के चौथे दिन मालपुए का भोग लगाकर मंदिर के ब्राह्मणों को दान दें। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति भी बढ़ती है।
  • नवरात्रि के पांचवे दिन मां को केले का नैवेद्य चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है।
  • नवरात्रि के छठे दिन शहद का भोग लगाएं। इससे आकर्षण शक्ति में वृद्धि होगी।
  • नवरात्रि के सातवें दिन मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है।
  • नवरात्रि के आठवें दिन देवी मां को नारियल का भोग लगाएं व नारियल का दान भी करें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
  • नवरात्रि की नवमी पर तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु के भय से राहत मिलने के साथ अनहोनी घटनाओं से भी बचाव होता है।

रविशराय गौड़
ज्योतिर्विद
अध्यात्मचिन्तक

एन सी आर खबर ब्यूरो

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