एके चित्रांश/लखनऊ डेस्क I हरदोई की गोपामऊ सीट से विधायक श्याम प्रकाश ने एडीजी पीएसी बीके सिंह की शिकायत गृह विभाग से की है.अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी को लिखा पत्र विधायक ने 37वीं वाहिनी पीएसी में तैनात सिपाही की पत्नी की शिकायत पर लिखा है.
लेकिन माननीय विधायक जी को शायद सिपाही पर लगे अनैतिक कार्यों के बड़े आरोपों की जानकार नहीं इसलिए उन्होंने बिना सोचे समझे शिकायती पत्र लिख दिया
मामला क्या है
असल में दबंग छवि का हवलदार आशीष दुबे अनेक प्रयास के बाद अपनी पोस्टिंग लखनऊ न करा पाने की वजह से, पिछले एक वर्ष से लगातार गुमनाम,अपने नाम,अपनी पत्नी के नाम से मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री सहित वरिष्ठ अधिकारियों को एडीजी पीएसी के ऊपर तरह तरह के अपमानजनक आरोप लगाते हुए शिकायती पत्र भेज रहा है. हाल में सोशल मीडिया पर वायरल ऐसी ही न्यूज में एडीजी पर अपने अधीनस्थ कर्मचारी को प्रताड़ित करने का भ्रामक आरोप लगाया गया. जबकि उक्त कांस्टेबल की लगभग दो दर्जन शिकायती पत्रों की जांच हो चुकी है,जांच के दौरान इस पति पत्नि द्वारा प्रार्थनापत्र देने से इंकार कर दिया जाता है
गौरतलब है कि आवेदिका राखी दुबे,सहायक अध्यापिका प्राथमिक विद्यालय लखनऊ,के पति मुख्य आरक्षी आशीष दुबे 37 वी बटालियन पीएसी में पोस्ट है। इससे पहले आशीष दुबे उत्तर प्रेदश पुलिस स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड में पोस्ट थे,जहां महिला खिलाड़ियों द्वारा शारीरिक शोषण की शिकायत की गई।शिकायत की विस्तृत जांच एक महिला आईपीएस अधिकारी से कराई गई।जांच के पश्चात चौकाने बाले तथ्य सामने आए।यह कि महिला खिलाड़ियों को ड्रग लेने,नेशनल टीम में चयन के बदले शरीरिक सम्बन्ध बनाने को बाध्य करने, तथा ऐसे अनैतिक लोगो का कॉकस बने होने की बात सामने आई।जांच में आये लैंगिक अपराध जैसे गम्भीर तथ्य की जांच सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण हेतु बनी आंतरिक शिकायत समिति को इस सम्बंध में विस्तृत जांच दी गयी जो अभी जारी है।महिला खिलाड़ियों द्वारा आशीष दुबे द्वारा डराया धमकाया जाने,समिति के समक्ष गवाही न देने के लिए प्रलोभन/प्रताड़ित करने के आरोप लगाए गए जिस पर स्पोर्ट आफिसर द्वारा पुष्टि करने व इन्हें लखनऊ से बाहर पोस्ट करने के अनुरोध ओर विभाग द्वारा आशीष दुबे को 48 बटालियन पीएसी सोनभद्र ट्रांसफर कर दिया,बाद में इनकी पत्नी की लखनऊ में पोस्टिंग के दृष्टिगत 37 पीएसी कानपुर पोस्टिंग की गई।
पुलिस जैसे अनुशासित सेवा में सुनियोजित तरीके से अपने अधिकारियों को डरा धमकाकर अनुचित दबाव बनाकर मनमाफिक पोस्टिंग की चाह रखने वाले कर्मचारियों के खिलाफ प्रदेश सरकार को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए. वरना ये दीमक पुलिस प्रशासन की व्यवस्था को धीरे धीरे खोखला कर देगा.
अपने व्यक्तिगत हित के लिए राजनीतिक तौर तरीके अपने का ये मामला दिलचस्प है लेकिन कहीं ना कहीं पुलिस व्यवस्था में राजनीतिक हस्तक्षेप की तरफ इशारा करता है.