कोरोना महामारी में पूरा देश जूझ रहा है,हर तबका परेशान है,सरकार उनके लिए योजनाएं बना रही है lशासन प्रशासन की तरफ से हर प्रकार की मदद की जा रही है l लेकिन यह उनके लिए है जो संगठित है,मुखर होकर अपनी समस्याओं को रखते हैं l
परंतु इस समय देश का बहुत बड़ा असंगठित सेल्फ एंप्लॉयड मध्यमवर्ग के लिए इस विपदा में ना तो कोई योजनाएं बना रहा है और ना ही कोई इन्हें मदद कर रहा हैl, इसके उलट इनके द्वारा दिए गए सर्विसेस का लोग महामारी का बहाना बना कर भुगतान भी नहीं कर रहे हैंl
इनमें लाखों की संख्या में ट्यूटर छोटी कोचिंग(एकेडमिक के अलावा योगा डांस सिंगिंग,जूडो कराटे खेल क्लासेस आदि),स्ट्रगलिंग कलाकार गीतकार संगीतकार खिलाड़ी नाटककार,लेखन एवं स्मॉल मीडिया पोर्टल संचालक,बंद मंदिर के पुजारी,टूर एंड टूरिज्म में होटल गाड़ी टिकट बुकिंग कर्ता,घरेलू प्ले स्कूल,ब्यूटी पार्लर, कैटरिंग,इवेंट प्लानर,शादियों,एवं विभिन्न सामाजिक धार्मिक कार्यक्रम के सर्विस प्रोवाइडर हर शहर हर कस्बे हर गांव में उपस्थित हैं और अपनी सेवाएं जनता जनार्दन को देते है l
ये असंगठित सेल्फ एंप्लॉयड मध्यमवर्ग सरकार को टैक्स भी देता है l परंतु आज तक कोई मांग सरकार से नहीं किया l आज तक इनका कोई धरना प्रदर्शन भी नहीं हुआ l यह खामोशी से जनहित का कार्य करते रहते हैं l
करोना महामारी के चलते विशाल असंगठित मध्यमवर्ग विकट आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा हैं l लेकिन अभी तक सरकार एवं शासन प्रशासन की तरफ से कोई भी मदद नहीं पहुंचाई गई l इनके लिए अभी तक कोई योजना ही नही बना है l संभवत सरकार एवं प्रशासन को इसका ज्ञान ही नहीं है l
ट्यूशन स्मॉल कोचिंग में पढ़ाने वाले शिक्षक असंगठित क्षेत्र से हैं,इनका कोई संगठन नहीं हैl सरकार ने इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दियाl लॉक डाउन में सारा काम ठप है,लोग फल सब्जी मेडिसिन आदि की खरीद, स्कूल की फीस मुश्किल से भर पा रहे है l इस समय कोई अभिभावक अपने बच्चों को ट्यूशन नहीं पढ़ा पा रहा l लॉक डाउन के कारण शिक्षक बच्चे एवं अन्य सेल्फ एंप्लॉयड का आना जाना बंद है l
फेस टू फेस पढ़ाने वाले ऑनलाइन क्लास लेने की कोशिश कर रहे हैं परंतु कोई खास सफलता नहीं मिल रही बल्कि कई पैरंट्स तो पढ़ा कर पैसे भी नहीं दे रहे,पैसे को लॉक डाउन के नाम पर रोक रखा है l
यही हाल प्रवचन कर्ता,पुजारियों, जागरण करने वाले,भविष्य बताने वाले,लेखक, कलाकार, नाटककार, फ्रीलांसर पत्रकार,छोटे एवं घरेलू प्ले स्कूल संचालक ब्यूटी पार्लर संचालक आदि लोगों का भी है l सरकार की तरफ से इन लोगों को आज तक एक पैसे की कोई मदद नहीं मिली l
दुविधा एवं असमंजस यह भी है कि समाज को शिक्षा कला साहित्य दिशा निर्देशन देनेवाले बौद्धिक वर्ग किस प्रकार से अपनी समस्याओं को समाज व शासन प्रशासन के सामने रखें l यह वर्ग तो बिना किसी मदद के स्वरोजगारीत हैं,अब तक परिवार का भरण पोषण करते आ रहा था lइनका काम समाज एवं देश के कमजोर एवं जरूरतमंदों को सर्विसेस देना है l इसलिए यह खुलकर अपनी परेशानी एवं समस्याओं को देश के सामने नहीं रखते l यही कारण है कि इनका कोई संगठन भी नहीं बना है l
आखिर कोई सेल्फ एंप्लॉयड टीचर, लेखक कलाकार गीतकार संगीतकार योग गुरु पुजारी मौलाना( छोटे अन्य सर्विस प्रोवाइडर कैसे कह सकता है कि वह संकट में है आर्थिक विपदा से जूझ रहा है,उसे मदद चाहिए lजब कि इन लोगों को भी अन्य लोगों की तरह राशन फल सब्जी दूध मेडिसिन आदि खरीदना स्कूल फीस,ईएमआई, टैक्स भरना होता है l
इस लेखन का उद्देश्य प्रधानमंत्री वित्त मंत्री शासन प्रशासन एवं समाज का ध्यान बड़ी संख्या में मौजूद सेल्फ एंप्लॉयड मध्यमवर्ग की तरफ आकर्षण करना है l इस महामारी में भी संकोच वश यह वर्ग खामोश रहकर अपनी बेबसी परेशान है, आर्थिक संकट है ,अपने भाग्य को कोस रहा है l
उम्मीद है कि प्रधानमंत्री जी वित्त मंत्री जी शासन प्रशासन इसे संज्ञान में लेंगे l इनके लिए भी कुछ योजनाएं बनाएगा जा सकेंगे,जिससे सेल्फ एंप्लॉयड मध्यमवर्ग को सरकार से मदद मिल सके l
इस संक्रमण काल में प्रधानमंत्री जी ने बड़े बजट( 20 लाख करोड़) की आर्थिक पैकेज देशवासियों के लिए घोषणा की है l इस राहत की बौछारें सेल्फ एंप्लॉयड बुद्धिजीवी एवं प्रोफेशनल के पास भी पहुंचने चाहिए l
शैलेंद्र वर्णवाल ( समाजसेवी )