फीस माफ़ी पर चल रहे स्कुल और अभिभावकों के बीच चल रही लड़ाई को हम दोनों ही पक्षों की बात को सामने रखने का प्रयास कर रहे है I इसको शुरू करने के समय हमारा विचार इस पर एक स्टोरी करने का था लेकिन आप लोगो के जबरदस्त रिस्पोंस ने हमें इसे विस्तृत रूप में बदलने पर मजबूर कर दिया I अब अगले 9 दिनों तक आने वाली इस सीरीज में हम विभिन्न संगठनो, स्कुलो, राजनेताओं. सामाजिक विचारको और सरकार के साथ साथ आम अभिभावकों का भी अनसुना पक्ष रखने की कोशिश करेंगे I इसी क्रम में तीसरे भाग हम सामाजिक चिन्तक शैलेंद्र वर्णवाल की बात आपके सामने रख रहे है I आप सभी लोग अपनी राय इस सीरीज पर दे सकते है ताकि इस विषय पर सभी का सच सामने आ सके
हर साल की तरफ इस साल भी इसी समय स्कूल फीस मुद्दा बना हुआ है lइस बार मुद्दा फीस वृद्धि के अलावा फीस माफी को लेकर चल रहा है l
इस आंदोलन में बहुराष्ट्रीय कंपनियां, सरकारी उच्च पदस्थ अधिकारी,आईटी इंजीनियर, डॉक्टर बिजनेसमैन आदि पेरेंट्स भी शामिल हो गए हैं l इनका लॉक डाउन में भी काम वर्क फ्रॉम होम से चल रहा है l बहुत बच्चों के ग्रैंड पेरेंट्स सरकारी विभाग से रिटायर होने के कारण इन्हें पेंशन नियमित रूप से मिल रही है l
इन पैरंट्स का लॉक डाउन के नाम पर फीस माफी के लिए आंदोलन चलाना सर्वथा अनुचित है l जबकि यही पेरेंट्स सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए तैयार नहीं होते हैं और एप्रोच लगाकर प्राइवेट स्कूल में बच्चों का एडमिशन कराने के लिए मारे मारे फिरते हैं l
नोएडा के ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले शायद ही कोई रेसिडेंट होगा जो कम खर्च, वाले सरकारी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाते होंगे l
बहुत से स्कूलों ने घोषणा कर रखा है कि अगर किसी पैरंट्स का लॉक डाउन में जॉब प्रभावित हो रहा हो या फिर सैलरी नहीं मिल रही हो तो वह स्कूल मैनेजमेंट से मिलकर अपनी बात रखें l
बहुत सारे स्कूलों ने पैरंट्स को पेमेंट ऑप्शन भी दिए हैं जिसमें कि वह स्कूल की फीस क्वार्टरली या मंथली दे सकते हैंl कई स्कूलों ने तो ट्रांसपोर्ट एवं अन्य चार्ज छोड़ दिया है l
लॉक डाउन में अगर कोई स्कूल फीस बढ़ाता है तो यह गलत है इसका विरोध होना चाहिए l परंतु अगर पेरेंट्स का बिजनेस चल रहा हो एवं उसकी सैलरी आ रही हो तो फीस माफी की मांग अनुचित है,l
पैरंट्स को यह भी सोचना चाहिए कि स्कूल में अगर मिसमैनेजमेंट हो गया और आर्थिक संकट के कारण स्कूल बंद हो गया तो उनके बच्चे कहां पढ़ेंगे l स्कूलों में ऐडमिशन इतना आसान नहीं है और वह स्वयं गवर्मेंट स्कूल में अपने बच्चों को डालना भी नहीं चाहते l मिसमैनेजमेंट के कारण ही आज के डेट में कई बिजनेस, कॉरपोरेट ऑफिस फैक्ट्री लॉक डाउन में ठप हो गए हैं lवह कब दोबारा और कैसे शुरू होंगे कहना मुश्किल है
इसीलिए स्कूल प्रशासन के साथ-साथ पेरेंट्स को भी विवेक पूर्वक इस स्थिति का सामना करना होगा lइसमें आंदोलन जैसी कोई बात है ही नहीं क्योंकि हर कोई इससे प्रभावित हो रहा है l
इस आंदोलन को बाहरी लोग( जिनका स्कूल से कोई लेना-देना नहीं) भी हवा दे रहे हैं lअभी कुछ दिन पहले एक सज्जन इसलिए फीस माफी आंदोलन में शामिल हो गए क्योंकि उनकी वाइफ कॉलेज में पढ़ाती थी और उन्हें 25% कम सैलरी मिली lजबकि उनका बड़ा पॉलिटिकल कनेक्शन भी है,कौन उनकी वाइफ की सैलरी कम देगा?
जब मैंने इस पर बात उठाई तो वो खामोश हो गए l
इसी मानसिकता के कारण कुछ पैरंट्स ट्यूशन एवं होम क्लासेस भी छुड़वा दिए हैं l शायद उन्हें लग रहा है कि लॉक डाउन होने के कारण अगले साल बोर्ड का पेपर या एंट्रेंस एग्जाम आसान हो जाएगा l जबकि ऐसा कुछ नहीं है, इस भयंकर बीमारी के आपातकाल में भी सरकार ने मेडिकल कॉलेज इंजीनियरिंग कॉलेज आदि उच्च शिक्षा संस्थानों में सीटें नहीं बढ़ाई l
इसीलिए कंपटीशन का स्तर और बढ़ रहा है l सरकार किसी भी प्रकार से इस लॉक डाउन में भी स्कूल कोचिंग ट्यूशन वालों को मदद या छूट नहीं दे रही l
समय बदल गया है,पारिवारिक मूल्य बदल गए हैं l पहले के समय में पेरेंट्स कहते थे कि बच्चे सिर्फ पढ़ाई में ध्यान दे, स्कूल/कोचिंग/ ट्यूशन पढ़ाई के खर्चा की चिंता हम करेंगे l ग्रैंड पेरेंट्स भी पढ़ाई के खर्च में मदद करते थे l मेडिकल इंजीनियरिंग सिविल सर्विसेज आदि कि तैयारी करने के लिए दिल्ली लखनऊ पटना इलाहाबाद जैसे शहरों में आर्थिक कष्ट सहकर बच्चों को भेजते थे l
आज के समय में कुछ पेरेंट्स दिखावा ज्यादा करते हैं lजो पेरेंट्स ग्रैंड पैरंट्स बच्चों को 50 हजार की मोबाइल गिफ्ट में दे देते हैं,उनका स्कूल की फीस माफी आंदोलन करना उचित नहीं है l बच्चों का ट्यूशन कोचिंग छुड़ाना,उनके पैसे ना देना अनुचित के साथ-साथ बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है l
जो पीड़ित पेरेंट्स है वह मैनेजमेंट के सामने जाकर अपनी समस्याएं बताएं कोई भी मैनेजमेंट इस विपदा में उनकी मदद करने से पीछे नहीं हटेगा ऐसा हमारा मानना है l
शैलेंद्र वर्णवाल
इस सीरीज के अन्य भाग के लिए
फीसमाफ़ी : क्या स्कूलफीस माफी अभियान स्कूल और संगठनो के बीच रस्साकशी मात्र है ? भाग 1
फीसमाफ़ी भाग 2: बाहरी संगठनों के द्वारा फीस माफी के विरोध के चलते मुश्किल है फीस माफ होना