कोरोना महामारी ने खून के रिश्ते और जाति धर्म के बंधन कच्चे धागे की तरह टूट रहे हैं। जहां मृतक की बीवी ने अपने इकलौते बेटे को उसके कोरोना पॉजिटिव पिता के जनाजे से हाथ लगाने से भी रोक दिया। हालात इससे भी बुरे हुए जब वहीं मृतक के धर्म से जुड़े लोगों ने भी कोरोना के डर से शव को एंबुलेंस से कब्र तक हाथ लगाने से इंकार कर दिया। जिसके बाद हिन्दुओ ने उसको उसके धार्मिक रीती रिवाज से दफनाया
आपको बता दें 62 वर्षीय मोहम्मद शमी नोएडा के सेक्टर 66 स्थित ममूरा में रहकर एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे। जिन्हें बीते शुक्रवार को कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी। जिसके बाद देर रात को उन्हें गलगोटिया कैंपस स्थित क्वारंटीन सेंटर से जिम्स भेजे जाते समय रास्ते में ही कार्डियो रेस्पिरेट्री सिस्टम फेल होने से मौत हो गई थी। इस दौरान मोहम्मद शमी की पत्नी, बेटा, बेटी और धेवती भी स्वास्थ्य विभाग के द्वारा क्वारंटीन में रखे गए थे। उनके पुत्र को लखनऊ से नॉएडा बुलाया गया
जनाजे को दफनाने की सारी तैयारियां पूरी होने पर एंबुलेंस में बैठी मृतक की पत्नी, बेटे और बेटी से जनाजे को शव वाहन से निकालकर कब्र तक पहुंचाकर क्रियाकर्म की कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा गया। लेकिन पति की मौत का गम झेल रही पत्नी ने अपने बेटे और बेटी को कोरोना के डर से अंत समय में उनके पिता के जनाजे को हाथ लगाने से भी रोक दिया।
परिवार के लोगों द्वारा जनाजे से हाथ लगाने का इंकार किए जाने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मौके पर मौजूद धर्म गुरूओं से पीपीई किट पहनकर जनाजे को दफनाने के लिए निवेदन किया। लेकिन उन्होंने भी कोरोना के कहर से डरकर हाथ लगाने से मना कर दिया। जिसके बाद जिला क्वारंटीन प्रभारी एसीएमओ डॉक्टर वी बी ढ़ाका, गलगोटिया कैंपस में बने क्वारंटीन सेंटर के प्रभारी डॉक्टर अमित चौधरी एवं राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिला संयोजक एवं फार्मासिस्ट कपिल चौधरी खुद आगे आए और तीनों लोगों ने पीपीई किट पहनकर जनाजे को दफनाने की प्रक्रिया को पूरा किया। प्रक्रिया देर रात करीब 12 बजे समाप्त हुई।