उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी कामकाज पूर्ण शैली के चलते काफी चर्चित हो रहे हैं । देखा जाए तो लॉक डाउन में जिस तरह से योगी आदित्यनाथ ने कोरोना पीड़ितों को सहायता दिलाने के लिए और बीमारी पर रोकथाम के लिए जिस सक्रियता से काम किया, वह कोई नहीं कर सका ।
गौतम बुध नगर के जिला अधिकारी को लॉक डाउन की परिभाषा में पाठ पढ़ा कर वह चर्चा में आए। इसके बाद उन्होंने देश में हॉटस्पॉट नामक स्थान बनाकर कोरोना पीड़ितों को सुरक्षा घेरे में बनाने का नया प्रयोग किया । जिसे पूरे देश में आजमाया जा रहा है । अब उन्होंने राजस्थान के कोटा में एक नई लकीर खींच दी है ।
यहां उत्तर प्रदेश सहित बिहार और कई प्रदेशों के करीब 60,000 छात्र फंसे हुए थे । जिनको मेस बंद होने के कारण न खाना मिल रहा था और न हीं सोना । बच्चों ने घर जाने की गुहार लगाई। बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि वह छात्रों को बिहार में नहीं घुसने देंगे । यह एक मुख्यमंत्री का संवेदनहीन रवैया था जो उन छात्रों के लिए नो एंट्री कर चुका था जो जिंदगी और भूख के बीच जूझ रहे थे ।
लेकिन वहीं दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ इस मामले में मिसाल बनकर सामने आए । उन्होंने राजस्थान के कोटा में 300 बस भिजवाई और उत्तर प्रदेश के सभी छात्रों को उनके घर छोड़ने का जज्बा दिखाया। इससे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पेट में दर्द हुआ तो राजस्थान सरकार बौखला गई है ।
राजस्थान सरकार कह रही है कि उन्होंने बच्चों को ले जाने की स्वीकृति नहीं दी । तो दूसरी तरफ बिहार सरकार इसे लाकडाउन का नियम तोड़ना कह रहे हैं । अब आप ही बताइए कि क्या योगी जी ने उन छात्रों को उनके घर पहुंचाकर गलत किया जो भूखे मर रहे थे …?
आकाश नागर स्वतंत्र पत्रकार हैं