दिल्ली के बाद मुंबई में बहुत सारी भीड़ रेलवे स्टेशन के पास दिखाई दी कुछ का कहना है इसको मस्जिद के पास बुलाया गया था तो कुछ को कहना है कि यह मुंबई से अपने घर जाने दिल्ली ट्रेन चलाने की मांग करें दोनों ही बातें खतरे का संकेत है
ऐसी भीड़ किसी भी राज्य के बाहर खड़ी होती है तो महामारी के समय में भी राजनीतिक बयानबाजी या रुकती नहीं है दिल्ली के बाद मुंबई में भी राज्य सरकार को कटघरे में ले लिया गया लोगों ने कहना शुरू करा कि उधव सरकार जानबूझकर मुंबई से कामगारों को बताना चाहती है ताकि उसको उनको वहां बैठा कर खिलाना ना पड़े इस आरोप में सच्चाई हो सकती है मगर इस आरोप की इस समय जरूरत क्या है ?
असल में हमारे देश का औद्योगिक ढांचा ही गलत विकसित किया गया हमने बड़े शहरों के पास इंडस्ट्रियल जोन बनाए जिससे उसके पास लोग बसे ऑर स्लम बस्तियों का भी निर्माण हुआ
यहां जो भीड़ है यह उन्हीं स्लम बस्तियों की है जो पूरे भारत के गांव से शहरों में सपने लेकर आई दिल्ली हो या मुंबई देश की राजधानी और आर्थिक राजधानी यहां पूरे देश से लोग आते हैं
लेकिन इन लोगों का सिर्फ इस्तेमाल यहां के स्थानीय लोगों ने किया लोगों ने अपने मकान में के लिए किराए पर चढ़ाएं लोगों ने हमसे मजदूरों की भांति अपना काम करवाया लोगों ने अपने फैक्ट्रियों में काम पर लगाया लेकिन सच बात है बीते 70 सालों में कभी भी हमने संतुलित इंडस्ट्रियल जोन बनाने की कोशिश नहीं की
जब भी इंडस्ट्रियल जोन बने हैं तो मध्यम वर्ग के ध्यान में रखकर मकान बनाए जाते हैं अमीर लोगो को उधोग लगाने की जगह दी जाती है ऑर गरीब लोगो कोंयाहन आकर काम करने का निमंत्रण । जाहिर है ऐसे हालात में बेहतर सुविधाएं अमीरों के लिए होंगी और गरीबों के लिए छोड़ दिया कि हैं शहर के सबसे खराब से झुग्गियां ।
आज यही लोग इन जगहों को छोड़कर इसलिए जाना चाहते हैं लेकिन को पता है कि अगले 3 महीने उनको खाने के लिए काम के लिए बहुत परेशान होना पड़ेगा सरकारी कितना भी सा दावा कर ले लेकिन सच यही है कि सरकारें इन लोगों को खिला नहीं पा रही है
एक दोष हमारे देश के लोगों का भी है लोगों को हमेशा डॉक्यूमेंटेशन ना में आने का अजीब सा डर है, इसी देश में हमने भी तो 6 महीने में एनआरसी को लेकर तमाम विरोध देखें क्योंकि देश के अंदर कोई एक डॉक्यूमेंटेशन नहीं है तो देश के लोगों के लिए इन सरकार इंतजाम एक कर भी नहीं कर सकती है
इस महामारी के बाद जो लोग बचे उन्हें दोबारा तय करना पड़ेगा क्या देशभर से आने वाले इन लोगों को वापस अपनी ही जगह पर कोई उद्योग लगाया जा सकता है क्यों नहीं इस तरीके की योजनाएं वापस लाई जाए जहां लोग उनको वही काम दिया जाए , लोगो के लिए उधोग लगाए जाए ना ही उद्योगों के लिए लोग भेज बकरियों की तरह लाए जाए यह जो बड़े-बड़े मजदूरों के स्लॉटर हाउस हमने विकसित कर दिए हैं इन को खत्म करने की जरूरत है इंडस्ट्रियल जोन के नाम पर सिर्फ मानवता का जो शोषण हो रहा है उसको रोके जाने की जरूरत होगी