इस लॉक डाउन में जो समाज का सबसे निचला तबका है सरकार उसका पूरा ख्याल रख रही, राशन, गैस, आर्थिक सहयोग…. और जो सबसे ऊपर वाले हैं उनका भी ख्याल रखा ही जायेगा वरना कंपनी बंद हो जायेगी, लोग बेरोजगार हो जायेंगे, टैक्स नही आयेगा।इन सबके बीच ‘बीच वाला’ तबका कहाँ है जिसने बैंकों या बाजार से लोन लेकर कारोबार खड़ा किया हुआ है? जो 2-4-10 स्टाफ के साथ व्यवसाय में लगे हुए हैं? आमदनी का एक बड़ा हिस्सा व्यवसाय के खर्च, बच्चों की पढ़ाई या ब्याज में जाता है उनका क्या होगा??मान लीजिये किसी ने 8-10 लाख से कोई व्यवसाय कर रहा है, उसका महीने का किराया, बिजली, स्टाफ और जरूरी खर्च मिला 50 हजार का मासिक खर्च है। सरकार उसे कैसे सपोर्ट करेगी? क्योंकि दुकान का किराया लगना ही है, वहाँ सरकार कुछ कर नही सकती, स्टाफ को देना ही है क्योंकि उसे कोई और सपोर्ट नही है, बैंक वाले ब्याज लेंगे ही… फिर ये बचेंगे कैसे?जितने छोटे लागत का व्यापार है वो उतने ही भयानक स्थिति में है। इस लॉक डाउन के बाद कई लोग साफ हो जायेंगे। हाँ वे किसी रिकार्ड में नही आयेंगे और न ही उसे कोई सरकारी मदद मिल सकती है। यह लॉक डाउन बड़ी कंपनियों से ज्यादा नुकसान छोटे खुदरा कारोबार का कर रही है। कई ऐसे व्यवसाय हैं जो बैठ कर एक महीने का खर्च नही उठा सकते।सरकार को ऐसे लोगों के बारे में सोचना चाहिये बजाय यह बैठ कर सोचने के की ये क्लास तो टैक्स चोर है। इन्हें भी राहत पहुँचाने की जितनी संभावना है वो किया जाना चाहिये क्योंकि ये वर्ग ही सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करता है।#LockDown#Corona#IndianEconomy
राजन धर्मेश की फेसबूक वाल से