दुनियाभर में महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस के भारत में अब तक 30 मामले सामने आ चुके हैं। यह वही समय है जब पूरे देश में मौसमी जुकाम और स्वाइन फ्लू अपने चरम पर होता है। जुकाम, स्वाइन फ्लू और कोविड-19 के एक ही साथ आने से लोगों में दहशत का माहौल है। डर के इस साए में डॉक्टरों ने सलाह दी है कि हर खांसी या जुकाम कोरोना वायरस नहीं है।
भारत में कोरोना की दस्तक के बाद डॉक्टरों के पास बुखार, गला खराब होने और कफ से पीड़ित मरीजों की लाइन लग गई है। ज्यादातर मरीजों को यह मौसमी फ्लू या स्वाइन फ्लू की वजह से है। लेकिन कोरोना के आने के बाद हर कोई इस बात से डर रहा है कि कहीं वह कोविड-19 से संक्रमित तो नहीं है। यह डर उस समय और बढ़ सकता है जब कोरोना का वायरस देश में फैलना शुरू हो जाएगा।
अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर सुरंजीत चटर्जी ने कहा, ‘किसी बीमार मरीज के लक्षणों का ऐसा कोई खास डेटा उपलब्ध नहीं है जिससे यह पता चले कि कौन मौसमी जुकाम से पीड़ित है और कोविड-19 से। यदि हर कोई कफ और गला खराब होने पर हॉस्पिटल आएगा तो व्यवस्था ही बैठ जाएगी।’ उन्होंने कहा कि लोगों को भयभीत होने की बजाय यह देखना चाहिए कि क्या जिस व्यक्ति के संपर्क में वह आया है, कहीं वह कोरोना से संक्रमित तो नहीं है।