ग्रेटर नॉएडा में आत्महत्यायो का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है I भागती दौड़तीतेज जिंदगी में लोग नहीं दौड़ पा रहे है या अकेलेपन से परेशान है I ताजा घटना ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सुपरटेक इको विलेज1 हिया जहाँ सोसाइटी में A2 टावर में रहने वाले सुरेंद्र घंसानी नामक युवक ने की फाँसी लगा कर आत्महत्या कर ली
मूल रूप से मध्य प्रदेश के सतना के रहने वाले सुरेंद्र का सोसाइटी में अपना मकान है। बताया जा रहा कि सुरेन्द्र ने भी अभी तक शादी नहीं की थी और सोसाइटी में अकेले ही रहते थे। कुछ महीनो पहले पहले इनकी माँ इनके साथ रहती थी पर वो भी वापस गाँव चली गयी
आस पास रहने वाले लोगो के अनुसार यह भी बताया जा रहा कि इनकी नौकरी छूटे हुए भी समय हो गया और काफी समय से कहीं दूसरी नौकरी नहीं लग रही थी, लोगो ने पुलिस को खबर की और पुलिस ने शव को नीचे उतार कर आगे कि कार्यवाही सुरु कर दी है
ग्रेनो वेस्ट में बड़ी समस्या बन रही है आत्महत्या
मेट्रो शहरो की तेज जिंदगी अकेलेपन और नौकरी के दबाब का कारण है लोगो में आत्महत्या की प्रवत्ति बढ़ रही है, आयुष्मान भव:… जुग-जुग जियो… दूधों नहाओ, पूतों फलो… जैसे आशीर्वादों से भरे देश में जिन्दगी को ठोकर मार कर मौत की आगोश में सो जाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है
दुनियाभर में व्यस्तताओं और कार्य के मानसिक दबाव के साथ जिंदगी का मूल्याकंन अर्थ से जुड़ गया है। इसकी वजह से युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति सबसे अधिक है। विदेशों में आत्महत्या करने वालों में सबसे अधिक बुजुर्ग हैं लेकिन भारत में यह स्थिति उलट है। यहां युवा और महिलाएं अधिक संख्या में आत्महत्या करते हैं।
लोगो की मांग सरकारी स्तर पर बने राष्ट्रीय नीति
डा ऋतू रायजादा के अनुसार आत्महत्या के मनोवैज्ञानिक कारण भी हैं।जिसकी वजह से लोग ऐसा घातक कदम उठाते हैं। ऐसे लोगों को मानोवैज्ञानिक काउंसिंलिंग कर बचाया जा सकता है। इसके लिए सामाजिक जागरुकता पहली आवश्यकता है। अवसाद से ग्रसित व्यक्ति के साथ परिवार और दोस्तों का नजरिया सकारात्मक होना चाहिए।
कई सामाजिक कार्यकर्ता भी मानते हैं भारत में सबसे खतरे की बात यह है कि युवाओं में आत्महत्या की सोच तेजी से पैदा हो रही है। इसकी वजह बेरोजगारी, प्रेम में असफलता, नशे की लत और दूसरे प्रमुख कारण हैं। इस पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकारी स्तर पर राष्ट्रीय नीति बननी चाहिए।