एनसीआर खबर डेस्क I दिवाली पर आतिशबाजी को लेकर नॉएडा -ग्रेटर नॉएडा में लग रही अटकलों पर डी एम् बी एन सिंह ने आज साफ़ कर दिया है की दिवाली पर रविवार को महज 2 घंटे ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति होगी। जिला प्रशासन की तरफ से तय किए गए स्थानों पर ही रात 8 से 10 बजे तक पटाखे जला सकेंगे। इसके बाद पटाखे जलाने पर जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
प्रशाशन ने इस बात के लिए इस बार नियम टूटने पर इलाके के एसएचओ की ज़िम्मेदारी भी तय कर दी है और उनके क्षेत्र में घटना पाए जाने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। डीएम के जारी आदेश के अनुसार अस्पताल, शिक्षण संस्थान और कोर्ट परिसर से 100 मीटर का एरिया शांत घोषित किया गया है। यहां किसी भी तरह का शोर प्रतिबंधित होगा।
एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार नोएडा अथॉरिटी ने जिला प्रशासन को 127 जगह पटाखे जलाने की जगह की लिस्ट सौंपी है। जिसकी जानकारी जल्दी ही प्रसाशन द्वारा जारी की जायेगी I आपको बता दें कि इस बार कम प्रदूषण फैलाने वाले ग्रीन पटाखों का ही प्रयोग किया जा सकेगा।
इस बार दुकानदारों से शपथपत्र लेकर लाइसेंस दिए गए हैं और वहीं से आतिशबाजी को बेचा जा सकता है , सोशल मीडिया या ऑनलाइन किसी भी तरह के पटाखों की बिक्री की अनुमति नहीं है डी एम् ने ऐसे लोगो की जानकारी प्रसाशन को देने को कहा है I जगह को लेकर भी प्रसाशन सख्त है अथॉरिटी जगह का चुनाव करेगी, जहां सभी इकट्ठा होकर पटाखे जलाएंगे। किसी को भी अपने घर पर पटाखे जलाने की अनुमति नहीं है । ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जाने क्या हैं ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखों का प्रयोग दुनिया के किसी भी देश में नहीं किया गया। ग्रीन पटाखों के कान्सेप्ट की खोज का श्रेय भारत को जाता है। इसे राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान अर्थात् नीरी द्वारा इजाद किया गया है। जो पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं पर इनके जलने से कम प्रदूषण होता है. इससे आपकी दीवाली का मज़ा भी कम नहीं होता क्योंकि ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं. हालांकि ये जलने पर 50 फीसदी तक कम प्रदूषण करते हैं.
कितने तरह के होते हैं
नीरी के मुताबिक इस साल कई तरह के ग्रीन पटाखे बाजार में उपलब्ध होंगे. पिछले दिनों केंद्रीय विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन ने सीएसआईआर-नीरी के वैज्ञानिकों के साथ ग्रीन पटाखों को एक प्रोग्राम में रिलीज भी किया. ग्रीन पटाखे मुख्य तौर पर तीन तरह के होते हैं. एक जलने के साथ पानी पैदा करते हैं जिससे सल्फ़र और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैसें इन्हीं में घुल जाती हैं. इन्हें सेफ़ वाटर रिलीज़र भी कहा जाता है. दूसरी तरह के स्टार क्रैकर के नाम से जाने जाते हैं और ये सामान्य से कम सल्फ़र और नाइट्रोजन पैदा करते हैं. इनमें एल्युमिनियम का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है. तीसरी तरह के अरोमा क्रैकर्स हैं जो कम प्रदूषण के साथ-साथ खुशबू भी पैदा करते हैं.