दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित कोई दो हजार करोड़ रुपए के मूल्य के नेशनल हेराल्ड भवन को अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी माता जी श्रीमती सोनिया गांधी को खाली करना ही पड़ेगा। 28 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और वीके राव ने सिंगल बैेंच के फैसले को बरकरार रखा है। सिंगल बैंच ने दिसम्बर में सोनिया और राहुल गांधी को आदेश दिए थे कि दो सप्ताह में हेराल्ड भवन को खाली कर दिया जाए। इस फैसले के विरुद्ध ही हाईकोर्ट की डबल बैंच में याचिका दायर की गई थी। भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि अब सरकार को जल्द ही हेराल्ड भवन का कब्जा ले लेना चाहिए। असल में स्वामी ने ही अदालत में वाद दायर किया था। इसमें आरोप लगाया गया कि सरकार ने नेशनल हेराल्ड अखबार के लिए जो भूमि लीज पर दी थी उस पर कांग्रेस के नेताओं ने बड़ी बिल्डिंग बनाकर किराये पर दे दी और अखबार का प्रकाशन भी बंद कर दिया। स्वामी का आरोप रहा कि पूर्व में कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपए की देनदारों की जिम्मेदारी ली और फिर बड़ी चतुराई से श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोती लाल बोहरा, और आॅस्कर फार्नडिस ने यंग इंडिया कंपनी बनाकर हेराल्ड भवन पर कब्जा कर लिया। यह कार्यवाही पूरी तरह गैर कानूनी थी।
लोकसभा चुनाव से पहले झटका:
चूंकि इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी का सीधा दखल है इसलिए लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली में हेराल्ड भवन का बाजार भाव आज कोई दो हजार करोड़ रुपए का है। यानि दो हजार करोड़ रुपए की सम्पत्ति सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हाथ से निकल जाएगी। अब चूंकि हाईकोर्ट की डबल बैंच का आदेश हो गया है इसलिए यह माना जा रहा है कि हेराल्ड भवन को खाली करवा लिया जाएगा। देखना होगा कि हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में याचिका कब दायर करती है। राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस के लिए कोर्ट का फैसला बेहद महत्वपूर्ण है।