आज तौबा-तौबा मुल्क में तकरीबन 300 आधुनिक वैज्ञानिक मारे गए। जो इस अनुसंधान में लगे थे कि जन्नत में मिलने वाली 72 हूरों की संख्या को 144 हूरों तक कैसे पहुंचाया जाय! ये वो वैज्ञानिक थे जो धरती पर मौजूद जन्नत को अपने अनुसंधान के जरिये जहन्नुम बनाने में जुटे थे! अब तक तौबा-तौबा मुल्क से दशकों से हमेशा हर लड़ाई झगड़े के बाद या पहले सिर्फ कागजों पर स्याही फेंकी जाती रही है लिहाजा उसे लगा कि पड़ोसी सिर्फ कागज़ों पर स्याही फेंकने वाला मुल्क है। उन्हें पता भी नही चला और अनुसंधान पूरा होने से पहले ही पड़ोसी मुल्क़ के 56 इंची सीने वाले ने उनकी कैम्प पर चाय फेंक दिया। लिहाजा कई आधुनिक वैज्ञानिक जल कर मर गए। इसकी वजह से अंदरूनी मुल्क और पड़ोसी तौबा-तौबा मुल्क के कई लोगों की भी जल गई है। हमारे देश में होने वाले चुनाव की बेला में किसी नेता द्वारा पड़ोसी मुल्क में चाय की इतनी घातक मार से जहाँ पड़ोसी मुल्क छौछियाया हुआ है वहीं ऐसा ही कुछ इस मुल्क में भी देखने को मिल रहा है। बुआ-बबुआ, भैया- बहना, दीदी समेत कइयों ने चुनावी तैयारियों का रुख आने वाले 2024 की तरफ मोड़ दिया है और चुपके चुपके बरनॉल मंगवा कर शरीर के पूरे अंदरूनी भाग पर लेप लगाकर सुखवाना शुरू कर दिया है। फिलहाल इस लेप के सूखने तक चायवाला दोबारा गद्दी पर बैठ चुका होगा, वैसे भी मई महीने में दोबारा उसने मन की बात करने का वायदा किया है! बकौल विरोधी आज फेंकू ने चाय फेंकी है आगे मन की बात भी फेंकेगा।@dinksri
(डिस्क्लेमर- ऊपर लिखी चंद लाइनों का किसी देश पार्टी व्यक्ति/व्यक्तियों या समूह से मेल मात्र संयोग माना जाय। और अगर संयोग न भी मानें तो जिसको जो उखाड़ना हो उखाड़ ले)
दिनकर श्रीवास्तव की fb वाल से