उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों की उम्र को 60 साल से दो वर्ष घटाकर 58 कर दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए नए साल पर एक बुरी खबर लेकर आया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने के लिए वर्ष 2001 में जारी अधिसूचना को अमान्य करार दिया है।कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार ने जिस अधिसूचना के तहत रिटायरमेंट की उम्र को 58 साल से बढ़ाकर 60 साल कर दिया था, वह पूरी तरह गलत है। कोर्ट के इस फैसले पर अभी तक सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
हालांकि साल 2018 के मई महीने में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने यूपी सरकार को खत लिखकर अपने कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 से बढ़ाकर 62 साल करने की सिफारिश की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने न मानते हुए ,उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों के रिटायरमेंट की आयु को 60 साल से घटाकर 58 साल पर मुहर लगा दी है।
उत्तर प्रदेश में अधिकतर कर्मचारी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन पा रहे हैं। ऐसे में कोर्ट का यह फैसला इन कर्मचारियों की रातों की नींद उड़ाने जैसा साबित हुआ है।