
एन सी आर खबर डेस्क I ‘नॉएडा के विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजानिक शौचालयों का निर्माण बी औ टी के आधार पर किआ जा रहा है। टॉयलेटों का निर्माण एवं सञ्चालन एजेंसी द्वारा किआ जा रहा है , विज्ञापन द्वारा आय प्राप्त की जाएगी तथा प्रतिमाह निर्धारित लाइसेंस फीस प्राधिकरण में जमा की जायेगी। चूँकि ग्रामीण क्षेत्रों से विज्ञापन से आय की सम्भावना न होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजानिक शौचालय बनाना संभव नहीं है’
ये कहना है नॉएडा प्राधिकारण का , जी हाँ आप बिलकुल सही पढ़ रहे है , आर टी आई एक्तिविष्ट राजन तोमर ने प्राधिकारण पर आरोप लगाया की उनके द्वारा जनसुनवाई पोर्टल के द्वारा प्राधिकरण से सवाल किया था के जिस प्रकार शहर में भिन्न जगहों पर सार्वजानिक शौचालय बनाये जा चुके हैं वैसे ही गाँवों में क्यों नहीं बनाये गए ,साथ ही नॉएडा के 81 गाँवों में सार्वजानिक शौचालय बनाये जाने की मांग भी की थी I
ऐसे में रंजन तोमर के अनुसार प्राधिकरण के जबाब आने के बाद कई सवाल उठ गये हैं
1. क्या प्राधिकरण जैसी सरकारी संस्था सिर्फ विज्ञापन एवं आय के लिए ही काम करेगी ? या सार्वजनिक हित , जो लोकतंत्र की मुख्य कड़ी है , का भी ध्यान रखा जायेगा ?
2. क्या प्राधिकरण द्वारा शहर में बनाये गए शौचालयों के मूल उद्देश्य सुविधा नहीं आय बढ़ाना था ?
3. क्या गाँवों को बराबर का बताने वाले प्राधिकरण का यह गाँवों के प्रति भेदभावपूर्ण रवैय्या नहीं है ?
4. प्राधिकरण कहता है के गाँवों में आवश्यकता पड़ने पर कम्युनिटी शौचालय एवं व्यक्तिगत शौचालय बनवाये जा रहे हैं , किन्तु यह सत्य नहीं दिखाई पड़ता , सवाल यह भी है के आवश्यकता का मापदंड क्या है ?
5. क्या गाँवों को हीन भावना से देखा जा रहा है ? इंटरनेट पर सर्च करने से पता चलता है के सार्वजानिक शौचालयों एवं कम्युनिटी टॉयलेट में भी फर्क होता है , कम्युनिटी टॉयलेट की परिभाषा यह कहती है के गरीबों एवं कम आय के लोगों के लिए बनाये जाने वाले टॉयलेट को कम्युनिटी टॉयलेट कहा जाता है , तो क्या प्राधिकरण गाँवों को कमतर आंक रहा है ?