नई दिल्ली. आरक्षण के विरोध में सोशल मीडिया पर की गई बंद की अपील असर दिखाने लगी है। बिहार के आरा में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों को रोका है। इससे पहले 2 अप्रैल को दलितों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया था। इस दौरान मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत 10 राज्यों में हुई हिंसा में 17 लोगों की मौत हो गई थी। सबसे ज्यादा 7 लोगों की मोत मध्य प्रदेश में हुई थी। मंगलवार को बंद की आशंका देखते हुए गृह मंत्रालय ने पहले ही अलर्ट जारी कर दिया। यह पहला मौका है जब सिर्फ सोशल मीडिया की कॉल पर भारत बंद की आशंका पैदा हुई।
हिंसा हुई तो कलेक्टर-एसपी होंगे जिम्मेदार
– गृह मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि कहीं भी हिंसा या अप्रिय घटना हुई तो उस इलाके के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को निजी तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
ग्लालियर-भिंड में स्कूल-कॉलेज बंद
– मध्य प्रदेश में पुलिस अलर्ट पर है। ग्वालियर और भिंड जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है। यहां मंगलवार को स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे।
– इंटरनेट भी 48 घंटे तक बंद कर दिया गया है। भोपाल में धारा 144 लगा दी गई है।
– सोमवार को भोपाल, ग्वालियर समेत प्रदेश के सभी संभागों में कमिश्नर और आईजी की संयुक्त बैठक हुई। इसमें धारा 144 लागू करने, सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट वायरल होने पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
कई जगह धारा 144 लगाई गई
– हिंसा की अशंका को देखते हुए राजस्थान के भरतपुर में धारा 144 लगा दी गई है। इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है।
– उधर, उत्तराखंड के नैनीताल भी धारा 144 लगाई गई है। धरना-प्रदर्शन करने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को हुआ था आंदोलन
– एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलित संगठनों ने भारत बंद का बुलाया था। इसका असर सबसे ज्यादा 12 राज्यों में देखने को मिला था। हिंसा में 15 लोगों की मौत हुई थी। मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 7, यूपी और बिहार में तीन-तीन, वहीं राजस्थान में 2 की मौत हुईं।
एक्ट में कोर्ट ने किया था बदलाव
– बता दें कि कोर्ट ने एक्ट में बदलाव करते हुए कहा था कि एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न की जाए। इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत मिले। पुलिस को 7 दिन में जांच करनी चाहिए। सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती।
– सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की रिव्यू पिटीशन पर मंगलवार को खुली अदालत में सुनवाई की। जहां कोर्ट ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुनवाई में बेंच ने कहा- “हमने एससी-एसटी एक्ट के किसी भी प्रावधान को कमजोर नहीं किया है। लेकिन, इस एक्ट का इस्तेमाल बेगुनाहों को डराने के लिए नहीं किया जा सकता।”