सवाल उठने लगा है और उठना भी चाहिए कि JNU जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों-करोड़ों रुपयों से अपराधियों, यौनविकृत लोगों, अराजक तत्वों और देशद्रोहियों की फौज तो नहीं तैयार कर रहा है – ध्रुव गुप्त
कभी देश का सबसे प्रतिष्ठित माना जाने वाला दिल्ली का केन्द्रीय विश्वविद्यालय जे. एन. यू पिछले कुछ सालों से गुंडों, अपराधियों, असामाजिक तत्वों और देशद्रोहियों की गिरफ़्त में है। पिछले कुछ सालों से यौन उत्पीड़न के मामलों में यह देश का अग्रणी विश्वविद्यालय बना हुआ है। साल 2013-14 में कैंपस के भीतर से यौन अपराधों के 25 और 2014-15 में 295 केस रिपोर्ट हुए है। यह सिलसिला इस साल भी बदस्तूर ज़ारी है। वैचारिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी शिक्षा का लक्ष्य होना ही चाहिए, लेकिन जिस तरीके से इस संस्थान में लोगों की धार्मिक आस्थाओं पर ग़ैरजिम्मेदाराना और असभ्य हमले होते रहे हैं वे वहां के शिक्षकों और छात्रों की संवेदनशीलता, संस्कार और मानसिक स्तर पर सवालिया निशान लगाते है। अभी पिछले साल यह संस्थान ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ और ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे – इंशाअल्लाह, इंशाअल्लाह’ के देशविरोधी नारों के लिए बहुचर्चित हो चुका है। विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उत्कृष्टता और वैचारिक स्वतंत्रता साबित करने के लिए जैसे इतना ही काफी नहीं था, अब कैंपस में अपहरण और हत्या की घटनाएं भी घटने लगी हैं। कुछ दिनों पहले नज़ीब नाम का एक छात्र कैंपस से ग़ायब हुआ जिसका सुराग आजतक नहीं मिला है। इसके पीछे छात्र संघों आपसी लड़ाई बताई जा रही है। नज़ीब की लाचार मां कई दिनों से जे.एन.यू परिसर में धरने पर बैठी है। अभी कल ही वहां के ब्रह्मपुत्र छात्रावास के कमरे से पी.एच.डी के एक मणिपुरी छात्र फ़िलेमोन की लाश बरामद हुई है।
यह सवाल उठने लगा है और उठना भी चाहिए कि यह विश्वविद्यालय जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों-करोड़ों रुपयों से अपराधियों, यौनविकृत लोगों, अराजक तत्वों और देशद्रोहियों की फौज तो नहीं तैयार कर रहा है ?
“ध्रुव गुप्त की वाल से”